तंबाकू तथा कोरोना से रोजाना 3600 लोगों की मौत

 - तंबाकू भारत के लिए कोरोना से कम खतरनाक नहीं।

- अगर हम मई, 2021 में भारत में हुई मृत्यु के आंकड़े लेते हैं, तो तंबाकू और कोरोना दोनों ही रोजाना लगभग 3,600 व्यक्तियों की जान ले रहे थे।

- फर्क सिर्फ इतना है कि तंबाकू से होने वाली मौतों के बारे में चुप्पी है और कोरोना मौतों के बारे में बहुत शोर।

- तंबाकू नियंत्रण के लिए स्मार्ट मॉडल विकसित करने वाले डॉ.रमेश गांधी को रिसर्च एक्सीलेंस अवार्ड

- ब्यूरो रिपोर्ट -  

जयपुर। आम तौर पर  यूरोपीय और अमेरिकी लोगों के शोध कार्य को ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्त्व और पुरस्कार दिए जाते हैं। लेकिन इस बार कहानी कुछ और है। भारत में तंबाकू नियंत्रण के लिए विकसित किए गए एंड स्मार्ट मॉडल को इंस्टीट्यूट ऑफ स्कॉलर्स, बैंगलोर द्वारा 2021 के लिए रिसर्च एक्सीलेंस अवार्ड दिया गया है। यह मॉडल गांधी फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. रमेश गांधी द्वारा भारत में तंबाकू के उपभोग और नियंत्रण की खामियों पर 6 वर्ष तक जमीनी व व्यापक शोध कार्य के बाद विकसित किया गया है।

डॉ. गांधी 2004 से तंबाकू नियंत्रण और सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उन्हें भारत के लिए यह मॉडल विकसित करने की प्रेरणा तब मिली जब वे अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, बाल्टीमोर में ग्लोबल टोबैको कंट्रोल लीडरशिप प्रोग्राम कर रहे थे। मॉडल को भारत और भारतीय विश्वविद्यालयों से एकमात्र प्रस्तुति के रूप में वाशिंगटन डीसी अमेरिका में पांचवीं वल्र्ड सोशल मार्केटिंग कांफ्रेंस में प्रस्तुत किया गया था। उक्त शोध को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने के लिए भारतीय सामाजिक विज्ञान परिषद मानव संसाधन विकास मंत्रालय, नई दिल्ली एवं टाटा ट्रस्ट ने भी सहयोग किया था। उक्त मॉडल न केवल तंबाकू के मांग पक्ष को बल्कि आपूर्ति पक्ष को भी नियंत्रित करने पर जोर देता है। यह सोशल मार्केटिंग के 8 मूल सिद्धांतों पर आधारित है।  

तंबाकू महामारी से निपटने के लिए एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर देते हुए, डॉ. गांधी कहते हैं, ‘‘तंबाकू भारत के लिए कोरोना से कम खतरनाक नहीं है। अगर हम माह मई, 2021 में भारत में हुई मृत्यु के आंकड़े लेते हैं, तो तंबाकू और कोरोना दोनों ही रोजाना लगभग 3,600 व्यक्तियों की जान ले रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि तंबाकू से होने वाली मौतों के बारे में चुप्पी है और कोरोना मौतों के बारे में बहुत शोर।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के 27 करोड़ तंबाकू के आदी लोग स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा आर्थिक बोझ हैं, जिसकी कीमत लगभग 9,000 करोड़ रुपए हर महीने है। अगर हम भारत के तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के दृष्टिकोण को नहीं बदलते हैं तो हम कभी भी तंबाकू मुक्त समाज नहीं बन सकते हैं, क्योंकि, प्रतिदिन तंबाकू की शुरुआत करने वालों की संख्या 6,600 से अधिक है, जो तंबाकू छोड़ने और मारे जाने वालों की कुल संख्या से बहुत अधिक है।

आरटीआई इंटरनेशनल, यूएसए में लीड चेंज डिजाइनर प्रो. क्रेग लेफेबेवर ने लिखा, ‘‘एंड स्मार्ट मॉडल भारत और अन्य विकासशील देशों में तंबाकू नियंत्रण और स्वास्थ्य के बदलते परिप्रेक्ष  के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है।’’ ब्राइटन यूनिवर्सिटी लंदन तथा स्ट्रैटेजिक सोशल मार्केटिंग लिमिटेड, यूके के सीईओ प्रोफेसर जेफ फ्रेंच तथा सोशल मार्केटिंग की विश्व प्रसिद्ध लेखिका तथा वाशिंगटन विश्वविद्यालय, अमेरिका की प्रोफेसर नैन्सी ली ने भी मॉडल की सराहना की।

Popular posts from this blog

देवदास: लेखक रचित कल्पित पात्र या स्वयं लेखक

नई चुनौतियों के कारण बदल रहा है भारतीय सिनेमा

‘कम्युनिकेशन टुडे’ की स्वर्ण जयंती वेबिनार में इस बार ‘खबर लहरिया’ पर चर्चा