अफगानिस्तान में टारगेट किलिंग में 3 साल में 65 मीडियाकर्मियों और कार्यकर्ताओं की हत्या

 - ब्यूरो रिपोर्ट -

अफगानिस्तान में स्थित संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) के मुताबिक पिछले तीन साल में कम से कम 65 मीडियाकर्मियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की टारगेट किलिंग में मौत हुई है। कई पत्रकार अब इस पेशे से हट रहे हैं।

यूएनएएमए ने 1 जनवरी 2018 से लेकर 21 जनवरी 2021 की अवधि के बीच जानकारी इकट्ठा की है। उसके मुताबिक इस अवधि में मानवाधिकार के 32 रक्षकों और 33 मीडियाकर्मियों की टारगेट किलिंग में मौत हुई। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अंतर-अफगान वार्ता जिसकी शुरुआत पिछले 12 सितंबर को हुई थी, के शुरू होने से लेकर जनवरी 2021 तक 11 मीडियाकर्मियों और अधिकार कार्यकर्ताओं की हत्या हुई। अंतर-अफगान वार्ता का मकसद युद्ध समाप्ति करने का राजनीतिक समाधान ढूंढना है। इन हत्याओं के कारण मीडिया से जुड़े कई लोगों ने पेशा छोड़ दिया, खुद को सेंसर किया या फिर खुद की और परिवार की सुरक्षा की खातिर देश ही छोड़ दिया।

अफगानिस्तान में यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि डेबराह लियोन्स के मुताबिक, "ऐसे समय में जब बातचीत और वार्ता के जरिए संघर्ष समाप्ति का अंत होना चाहिए और राजनीतिक समझौतों पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए। मानवाधिकार और मीडिया की आवाज पहले से कहीं अधिक सुनी जानी चाहिए, इसके बजाय उन्हें चुप कराया जा रहा है।"

इस रिपोर्ट में विशेष तौर पर तालिबान को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा रहा है। अफगानिस्तान की सरकार हमेशा से नागरिक समाज की आवाज दबाने के लिए तालिबान पर आरोप लगाती रही है। रिपोर्ट में अफगान सरकार से नागरिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए एक प्रभावी राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र की शुरूआत करने को कहा गया है।

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