फ़िल्मों को सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ करने का कड़ा विरोध

नई फ़िल्मों को सीधे ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर रिलीज़ करने से सिनेमाघरों  को बंद करने का खतरा मंडराने लगा। कोरोना वायरस की वजह से सिनेमाघरों के मालिकों की बीते दो महीनों से कोई कमाई नहीं हो रही है।  वहीं अब उन्हें यह डर भी सता रहा है कि फ़िल्मों को सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ करने के फ़ैसले से लाखों लोग बेरोज़गार हो जाएंगे।


जयपुर। सिनेमाघर मालिकों और फिल्म वितरकों ने फ़िल्मों को सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ करने का कड़ा विरोध  किया है  और कहा है कि अगर नई फ़िल्में सीधे ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर उतारी जाएंगी तो सिनेमाघरों  को बंद करने की नौबत आ सकती है। कोरोना वायरस की वजह से सिनेमा घरों के मालिकों की बीते दो महीनों से कोई कमाई नहीं हो रही है।  वहीं अब उन्हें यह डर भी सता रहा है कि फ़िल्मों को सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ करने के फ़ैसले से लाखों लोग बेरोज़गार हो जाएंगे। हाल ही अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की सुजीत सरकार निर्देशित फ़िल्म 'गुलाबो सिताबो' को सिनेमाघर की जगह सीधे ओटीटी यानी वो ओवर द टॉप प्लेटफ़ॉर्म अमेज़ॉन प्राइम पर रिलीज़ करने का फ़ैसला किया गया है। इसके साथ ही विद्या बालन की फ़िल्म शकुंतला भी अमेज़ॉन प्राइम पर रिलीज़ की जा रही है। अक्षय कुमार की फ़िल्म "लक्ष्मी बॉम्ब" भी ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर आने वाली है।  



दरअसल इस मामले पर फ़िल्म उद्योग के लोग भी एकमत नहीं हैं।  फ़िल्म निर्माण और  वितरण से जुड़े लोगों का कहना है कि फिलहाल सिनेमाघर खुलने के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे हैं। और अगर सिनेमाघर खुल भी जाएँ तो भी क्या गारंटी है कि दर्शक फ़िल्म देखने आएंगे। संकट की इस घडी में घड़ी में मनोरंजन का स्थान सबसे पीछे होगा। ऐसी सूरत में सिनेमाघरों के खाली रहने की आशंका बरक़रार है। और अगर किसी प्रोड्यूसर ने लोन ले रखा है और उसका इंटरेस्ट जा रहा हो और उसे फ़िल्म को लंबे वक्त तक रोकने की क्षमता न हो तो ऐसी फ़िल्म को उसे ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज़ करने देना चाहिए।


दूसरी तरफ़ सिनेमाघर मालिकों और वितरकों का भी कहना है कि उन्होंने भी सिनेमाघरों में काफ़ी निवेश किया हुआ है। कोई भी बड़ा फ़ैसला करने से अच्छा होता अगर वो सबकी परेशानियों को समझते फिर वो चाहे पैसों को लेकर है या कोई वजह। पहले इस पर चर्चा करते फिर कोई फ़ैसला करते। इस तरह के फ़ैसले से लाखों लोग बेरोज़गार हो जाएंगे क्योंकि थिएटर में चेन सिस्टम चलता है, जैसे खाने की कैंटीन में काम करने वाले, पार्किंग, सफ़ाई कर्मचारी, सुरक्षाकर्मी जैसे कई लोग जुड़े हैं अगर यही हाल रहा तो बेरोज़गारी बढ़ेगी। 


फ़िल्म उद्योग के सूत्रों के अनुसार सब कुछ ठीक चलता  रहा तो सिनेमाघर दीपावाली के बाद ही  गुलज़ार होंगे। लेकिन जिन निर्माताओं की फ़िल्में पूरी तरह से तैयार हैं रिलीज़ होने के लिए वो क्यों अपना नुकसान करेंगे। वो तो रिलीज़ करेंगे ही। अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना स्टारर फ़िल्म 'गुलाबो सिताबो' 12 जून को अमेज़ॉन प्राइम पर रिलीज़ हो रही  है।अक्षय कुमार की बड़े बजट की फ़िल्म "सूर्यवंशी" भी अभी अटकी हुई है, जबकि अक्षय की एक और फ़िल्म "लक्ष्मी बॉम्ब" ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर आने वाली है। फिल्म इंडस्ट्री के एक निर्माता का कहना है कि कोई भी निर्देशक और निर्माता शौक से या दिल से ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपनी फ़िल्में रिलीज़ करना नहीं चाहता होगा, उसकी कोई मजबूरी होगी तभी उसने ये फ़ैसला किया होगा। पिक्चर बनकर तैयार है, थिएटर खुलने के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे हैं। ऐसी सूरत में निर्माता को अगर अपने फंसे हुए पैसों की चिंता है , तो वह फिल्म को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ करने के बारे में फैसला करेगा ही। 


 


 


 


 


 


Popular posts from this blog

देवदास: लेखक रचित कल्पित पात्र या स्वयं लेखक

नई चुनौतियों के कारण बदल रहा है भारतीय सिनेमा

‘कम्युनिकेशन टुडे’ की स्वर्ण जयंती वेबिनार में इस बार ‘खबर लहरिया’ पर चर्चा