केरल का समाचार चैनल मीडिया वन टीवी हुआ बंद

-ब्यूरो रिपोर्ट-

नई दिल्ली। केरल के समाचार चैनल मीडिया वन टीवी को उसका प्रसारण रोके जाने के खिलाफ हाई कोर्ट ने कोई राहत नहीं दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए चैनल को दोबारा लाइसेंस जारी करने की इजाजत नहीं दी थी। गृह मंत्रालय के कहने पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने मीडिया वन पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे चैनल ने केरल हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन अदालत ने चैनल को कोई भी राहत देने से मना कर दिया है। अदालत ने कहा है कि चैनल के लाइसेंस को आगे बढ़ाने की अनुमति न दिए जाने के लिए पर्याप्त कारण हैं।

हालांकि सरकार ने इन कारणों के बारे में विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। अदालत में सरकार ने दलील थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में नैसर्गिक न्याय की दलील नहीं दी जा सकती है। अदालत ने भी इस पर सहमति व्यक्त की है। बल्कि न्यायमूर्ति एन नागरेश ने अपने फैसले में प्राचीन ग्रन्थ अत्रि संहिता का जिक्र करते हुए कहा कि संहिता में भी यही लिखा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सरकार का सबसे जरूरी दायित्व होता है। इस पूरे मामले के केंद्र में भी सवाल यही है कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आखिर परिभाषा क्या है और सरकार इसके दायरे में किस किस गतिविधि को देखती है।

अभी देश में टीवी चैनलों को प्रसारण के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय से लाइसेंस लेना पड़ता है। मौजूदा नीति के तहत लाइसेंस 10 सालों के दिया जाता है और फिर उसे दोबारा जारी करवाना होता है। लाइसेंस मिलने के लिए गृह मंत्रालय से सुरक्षा संबंधित अनुमति लेना अनिवार्य होता है। मीडिया वन टीवी माध्यमम ब्रॉडकास्टिंग नाम की कंपनी का मलयालम समाचार टीवी चैनल है। माध्यमम के कई निवेशक जमात-ए-इस्लामी हिंद संस्था के सदस्य हैं। केरल में कई बार अफवाह उड़ाई गई है कि यह संस्था भारत में प्रतिबंधित है लेकिन संस्था ने बताया कि यह झूठ है और प्रतिबंधित संस्था का नाम जमात-ए-इस्लामी, जम्मू और कश्मीर है।

इस बारे में पोर्टल डीडब्ल्यूवर्ल्ड के लिए चारु कार्तिकेय ने एक विस्तृत रिपोर्ट पोस्ट की है। रिपोर्ट के मुताबिक जमात-ए-इस्लामी हिंद के मुताबिक वो एक अलग संस्था है और उस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। मीडिया वन टीवी की शुरुआत फरवरी 2013 में हुई थी। एक समारोह में चैनल का उद्घाटन तत्कालीन रक्षा मंत्री और केरल से कांग्रेस पार्टी के सांसद एके एंटनी ने किया था। मौके पर केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ऊमन चंडी, मौजूदा मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन और बीजेपी नेता श्रीधरन पिल्लई भी मौजूद थे। लेकिन चैनल कई बार विवादों में रहा। केंद्र सरकार ने 2020 में भी दिली दंगों की पक्षपाती कवरेज के लिए चैनल के प्रसारण को 48 घंटों के लिए रोक दिया गया था।

चैनल पर प्रतिबंध लगाए जाने का विपक्षी पार्टियों ने जम कर विरोध किया है। मामले को लोक सभा में उठाते हुए सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार ने चैनल का लाइसेंस रद्द करने के पीछे अस्पष्ट कारण दिए हैं। चैनल के मुख्य सम्पादक प्रमोद रमन ने एक बयान में कहा है कि हाई कोर्ट के फैसले को देखते हुए प्रसारण फिलहाल बंद किया जा रहा है, लेकिन कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि चैनल जल्द ही हाई कोर्ट की डिवीजन पीठ में अपील करेगा। अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि चैनल में कितने लोग काम करते थे और प्रसारण रोक दिए जाने के बाद उनका क्या होगा। 

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