‘कम्युनिकेशन टुडे’ की रजत जयंती पर डॉक्यूमेंट्री का निर्माण
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-ब्यूरो रिपोर्ट-
जयपुर। मीडिया से संबंधित विषयों पर इधर जो शोध पत्रिकाएं प्रकाशित हो रही हैं, उनमें कुछ अपवादों को छोड़कर गंभीर अध्ययन और गहन विवेचन का सर्वथा अभाव है। अधिकतर शोध पत्रिकाओं में मीडिया-अनुसंधान की कई दिशाएं अछूती रह जाती हैं और ऐसी पत्रिकाओं के संपादक मंडल से जिस अनुशीलन और परिश्रम की अपेक्षा की जाती है, वे तमाम अपेक्षाएं भी पूरी नहीं हो पातीं। ऐसी अधिकतर पत्रिकाओं में संबद्ध विषय को लेकर न कोई दृष्टि नजर आती है, और न विषय पर कोई नई जानकारी मिलती है। ऐसी सूरत में जयपुर से पिछले 25 वर्षों से निरंतर प्रकाशित होने वाली मीडिया शोध पत्रिका ‘कम्युनिकेशन टुडे’ गहन अंधेरे में रोशनी की किसी किरण की मानिंद जगमगाती नजर आती है। संचार, मीडिया, पत्रकारिता और उससे संबंधित मुद्दों पर केंद्रित इस त्रैमासिक मीडिया जर्नल में उच्च स्तर की सामग्री प्रस्तुत की जाती है और यही कारण है कि वाली यह मीडिया पत्रिका इस विषय पर प्रकाशित होने वाली दूसरी तमाम पत्रिकाओं से अलहदा नजर आती है।
हाल ही इस पत्रिका ने रजत जयंती का अपना सफर पूरा किया है। इस अवसर पर ‘कम्युनिकेशन टुडे’ पर आधारित वृत्तचित्र ‘कम्युनिकेशन टुडे - 25 वर्षों का शानदार सफर’ का ऑनलाइन लोकार्पण किया गया। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो के जी सुरेश ने इस डॉक्यूमेंट्री को रिलीज किया। आधा घंटे की इस डॉक्यूमेंट्री का निर्माण क्रिएटिव प्रोडक्शन के विनोद सैन ने किया है, जबकि इसका आलेख वरिष्ठ फिल्म विश्लेषक श्याम माथुर ने तैयार किया है।
पच्चीस वर्षों के अपने अनथक सफर पर नजर डालते
हुए ‘कम्युनिकेशन टुडे’ के संपादक प्रो. संजीव भानावत कहते हैं, ‘‘आज से करीब
पच्चीस साल पहले श्रीलंका के कोलंबो में दक्षिण एशियाई मीडिया शिक्षकों का एक व्यापक
सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस कॉन्फ्रेंस में इस बात पर गहरी चिंता जताई गई थी कि
भारत में स्तरीय शोध जर्नल्स की बहुत कमी है। यही वो पल था कि हमने एक स्तरीय और शोधपरक
मीडिया जर्नल शुरू करने का फैसला किया। मीडिया से जुड़े वरिष्ठ साथियों और जनसंपर्क
की दुनिया के दिग्गज लोगों ने हमारे इस विचार को आगे बढ़ाने में पूरा सहयोग किया। ऐसे
सभी साथियों की उम्मीदों को साकार करते हुए ‘कम्युनिकेशन टुडे’ का सफर शुरू हुआ और सीमित संसाधनों के बावजूद
तब से पत्रिका निरंतर प्रकाशित होती रही है।’’
जैसा कि डॉक्यूमेंट्री ‘कम्युनिकेशन
टुडे - 25 वर्षों का शानदार सफर’में कहा गया है कि ‘‘.......ऐसे समय में जबकि हालात और वक्त की आँधी में बड़े-बड़े मीडिया
घराने ध्वस्त हो रहे हैं या अपने मूल्यों को तिलांजलि देकर बाज़ार के आगे नतमस्तक
हो रहे हैं, ऐसे में 25 वर्षों से जारी कम्युनिकेशन
टुडे का सफर न सिर्फ उम्मीदें जगाता है, बल्कि घनघोर तूफ़ानों का सामना करने वाले दीये की कहानी भी याद दिलाता
है।’’
ढाई
दशक की इस शानदार यात्रा के दौरान ‘कम्युनिकेशन टुडे’ ने न सिर्फ मीडिया की दुनिया को गहराई
से खंगालने की कोशिश की है, बल्कि मीडिया शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में देश और दुनिया
में जो नए प्रयोग किए गए हैं, उन्हें भी लाखों पाठकों तक पहुंचाया है।
‘कम्युनिकेशन
टुडे’के संपादक संजीव भानावत खुद भी लगभग चार दशक तक मीडिया
शिक्षा से जुड़े रहे हैं, ऐसे
में यह स्वाभाविक ही है कि उन्होंने ‘कम्युनिकेशन टुडे’के विभिन्न अंकों में मीडिया से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण विषयों
पर शोधपरक और अत्यंत उपयोगी सामग्री का संयोजन किया।