धरती से चार सौ किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में शूट होगी टॉम क्रूज की फिल्म

बीते कुछ सालों में पर्यटन के मकसद से अंतरिक्ष में जाने की होड़ शुरू हुई है। यही होड़ अब फिल्म उद्योग में शुरू हो सकती है। इसकी शुरुआत रूस ने की थी, जिसे टॉम क्रूज की फिल्म आगे बढ़ाने जा रही है। 

-ब्यूरो रिपोर्ट-

मुंबई। हॉलीवुड अभिनेता टॉम क्रूज की अगली स्पेस फिल्म के सह-निर्माता ‘स्पेस एंटरटेनमेंट एंटरप्राइज’ (एसईई) ने धरती से चार सौ किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में एक फिल्म स्टूडियो बनाने का एलान किया है। क्रूज अपनी इस फिल्म की शूटिंग अंतरिक्ष में करेंगे। कंपनी के मुताबिक उनकी योजना इसे दिसंबर 2024 तक तैयार करने की है।

इस स्टूडियो का नाम एसईई-1 होगा, जो अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की व्यापारिक शाखा एक्सियम स्टेशन पर बनेगा। तैयार होने के बाद अन्य कंपनियां भी शूटिंग के लिए इसका इस्तेमाल कर सकेंगे, लेकिन एसईई की योजना अपना कॉन्टेंट तैयार करने की भी है। 2028 में एक्सियम स्टेशन अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से अलग हो जाएगा। एक्सियम ने इसी महीने व्यापारिक शाखा तैयार करने का ठेका हासिल किया है। एक्सियम की योजना टॉम क्रूज और डायरेक्टर डग लीमन को इस साल फिल्म की शूटिंग करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर भेजने की है। ऐसा होता है, तो यह अंतरिक्ष में शूट होने वाली दूसरी फिल्म होगी। वैसे तो योजना यह थी कि यह अंतरिक्ष में शूट होने वाली पहली फिल्म होगी, लेकिन इसकी जानकारी आने के बाद रूसी फिल्म निर्माताओं ने ‘द चैलेंज’ नाम की एक फिल्म अंतरिक्ष में शूट की, जो यह तमगा हासिल करने वाली पहली फिल्म बन गई।

हालांकि, पहले टॉम क्रूज फिल्म की शूटिंग के लिए अक्टूबर 2021 में अंतरिक्ष में जाने वाले थे, बाद में यह योजना टल गई। कथित तौर पर इसकी वजह फिल्म का 20 करोड़ डॉलर का बजट बताया गया। रूसी फिल्म ‘द चैलेंज’ को अक्टूबर 2021 में ही अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर शूट किया गया था। इसकी शूटिंग 12 दिनों तक चली थी। ‘द चैलेंज’ एक सर्जन की कहानी थी, जो अंतरिक्ष में बीमार पड़े एक ऐसे अंतरिक्ष यात्री का ऑपरेशन करता है, जिसके पास बीमारी की वजह से धरती पर लौटकर इलाज कराने की गुंजाइश नहीं होती है। यह फिल्म इस साल के आखिरी में रिलीज होनी है।

वैसे डॉक्युमेंट्री फिल्मों में अंतरिक्ष में शूट हुए वीडियो का इस्तेमाल होना कोई नई बात नहीं है। ऐसी फुटेज ज्यादातर अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा शूट किए हुए होते हैं। वहीं फिल्म निर्माता धरती पर भी जीरो ग्रैविटी और छोटी जगहों पर लंबे समय तक बंद रहने के डर और इससे उपजने वाली झल्लाहट का माहौल बनाकर फिल्में शूट कर चुके हैं। यूलिया पेरेसिल्ड इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पहुंच चुकी हैं। वह कोई वैज्ञानिक नहीं हैं कि शोध करने गई हों, और टूरिस्ट भी नहीं हैं कि घूमने गई हों।

इसी का एक उदाहरण 10 करोड़ डॉलर में बनी सैंड्रा बुलक और जॉर्ज क्लूनी की फिल्म ‘ग्रैविटी’ थी। इसने दुनियाभर में 70 करोड़ डॉलरसे ज्यादा कमाई की थी और सात ऑस्कर जीते थे। वर्षों के रिसर्च पर आधारित इस फिल्म में दोनों अभिनेताओं ने अपना वजन महसूस न करते हुए शूटिंग की थी। उन्होंने अंतरिक्ष में होने वाले फ्री-फॉल का अनुभव भी किया था।

बीते कुछ बरसों से पर्यटन के मकसद से अंतरिक्ष में जाने की होड़ नए स्तर पर पहुंच गई है। एमेजॉन के मालिक जेफ बेजोस से लेकर टेस्ला के मुखिया एलन मस्क और वर्जिन गैलेक्टिक के रिचर्ड ब्रैनसन तक इस दिशा में काम कर रहे हैं। हालांकि, इस पर सवाल भी खूब उठते हैं। आलोचक कहते हैं कि एक ओर दुनिया में तमाम लोग भुखमरी के शिकार हैं, दूसरी ओर कुछ लोग अथाह पैसा खर्च करके अंतरिक्ष में घूमने जा रहे हैं। पर्यावरण भी एक बड़ा मुद्दा है। एक रॉकेट लॉन्च किए जाने पर धरती के ऊपरी वायुमंडल में 300 टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन होता है, जो वहां बरसों तक रह सकती है। रॉकेट से होने वाला कार्बन उत्सर्जन एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री के मुकाबले कम जरूर है, लेकिन यह लगातार बढ़ रहा है।

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