मीडिया की आज़ादी पर हमला करने वालों में इमरान खान और किम जोंग उन सबसे आगे

 -'रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स' की लिस्ट में 37 देशों के राष्ट्रप्रमुखों का ज़िक्र

-पहली बार महिला नेताओं के भी नाम, शेख हसीना और कैरी लाम भी इस लिस्ट में

-प्रेस पर हमलावर होने वाले लोगों की इस सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी नाम

- ब्यूरो रिपोर्ट -

नई दिल्ली। मीडिया की आजादी पर अंकुश लगाने के मामले में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन सबसे आगे हैं। प्रेस वॉचडॉग संस्था 'रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स' ने इस संबंध में एक लिस्ट जारी की है, जिसमें ऐसे 37 देशों के राष्ट्रप्रमुखों को शामिल किया गया है जिन्हें प्रेस की आजादी पसंद नहीं। लिस्ट में इमरान खान, किम जोंग उन और हंगरी के पीएम विक्टर ओरबान को प्रेस की आजादी का शिकार करने वाला नेता बताया गया है।

रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स की इस सूची में बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना और हॉन्ग कॉन्ग की प्रशासक कैरी लाम को भी रखा गया है। बता दें कि यह पहला मौका है, जब महिला नेताओं को भी इस लिस्ट में जगह मिली है। यह लिस्ट 5 साल के अंतराल के बाद आई है। इससे पहले 2016 को यह लिस्ट जारी की गई थी। ग्लोबल प्रेस संस्था ने बताया कि इस लिस्ट में शामिल 37 नेताओं में से 17 के नाम पहली बार जोड़े गए हैं।

संगठन ने 37 ऐसे शासनाध्यक्षों व राष्ट्राध्यक्षों की सूची बनाई है, जिनके बारे में उसका मानना है कि वे 'मीडिया की आज़ादी पर हमलावर' ('प्रीडेटर ऑफ़ प्रेस फ्रीडम') हैं। इस सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं। उनके साथ म्यांमार में सैनिक तख़्तापलट करने वाले सेना प्रमुख मिन आंग हलांग और सऊदी अरब के शहज़ादे मुहम्मद बिन सलमान भी हैं। प्रेस की आज़ादी के मामले में भारत की क्या स्थिति है, इसका अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि 'रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स' (रिपोर्टर्स सां फ्रंतिए यानी आरएसएफ़) ने प्रेस फ्रीडम सूचकांक जारी किया है, उसमें कुल 180 देशों में भारत 142वें स्थान पर है।

आरएसएफ़ ने कहा है कि इन देशों में मीडिया की आज़ादी को कुचला जा रहा है, सेंसरशिप के नए उपकरण विकसित किए जा रहे हैं, पत्रकारों को मनमानी तरीके से जेलों में डाला जा रहा है और पत्रकारों की हत्या तक की जा रही है।

जिस सूची में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, उसी में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद, ईरान के अली ख़मेनी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, बेलारूस के अलेक्सांद्र लुकाशेंको व बांग्लादेश की शेख हसीना भी हैं।

नरेंद्र मोदी के बारे में कहा गया है कि 'उन अरबपति व्यवसायियों से उनकी नज़दीकी है, जिनका मीडिया जगत पर कब्जा है, वे मोदी को राष्ट्रवादी लोकलुभावन विचारधारा को आगे बढ़ाने और विभाजक व अपमानजनक भाषण के प्रचार-प्रसार में मदद करते हैं।'

लिस्ट में शामिल नेताओं के बारे में कहा गया है कि इन लीडर्स ने न सिर्फ अभिव्यक्ति पर रोक का प्रयास किया है, बल्कि पत्रकारों को मनमाने ढंग से जेल भी भिजवाया है। रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स ने 19 देशों को रेड कलर में दिखाया है, जिसका मतलब है कि ये देश पत्रकारिता के लिहाज से बेहद खराब हैं। इसके अलावा 16 देशों को ब्लैक कोडिंग दी गई है यानी ये वे देश हैं, जहां स्थिति बेहद खराब होती जा रही है।

इस सूची में तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैय्यप एर्दोगन, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते, ब्राजील के जायर बोलसोनारो को भी शामिल किया गया है। रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स ने इमरान खान को पत्रकारिता का शिकारी बताया और रिपोर्ट में कहा है कि इमरान के पीछे सेना ने अपनी पकड़ को मजबूत कर लिया है। उनके पीएम बनने के बाद प्रेस पर सेंसरशिप लागू कर दी गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इमरान खान के राज में अखबारों का वितरण बाधित किया गया है। मीडिया कंपनियों को विज्ञापन वापस लेने से लेकर तमाम धमकियां दी गई हैं, इतना ही नहीं टीवी चैनलों के सिग्नलर्स को भी जाम किया गया है।

पेरिस स्थित रिपोर्टर्स सां फ्रांतिए (आरएसएफ़) यानी रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स एक नॉन-प्रॉफ़िट संगठन है जो दुनियाभर में पत्रकारों और पत्रकारिता पर होने वाले हमलों को डॉक्यूमेंट करने और उनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का काम करता है।

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