जब दिलीप कुमार को मिली सीख कि आपसे भी बड़ा कोई न कोई होता है!
- ब्यूरो रिपोर्ट -
मुंबई। जिंदगी में कई ऐसे पल आते हैं, जो आपको बहुत कुछ
सिखा जाते हैं। हो सकता है कि आप सड़क पर टहल रहे हों, अपने दोस्तों के
साथ रात का खाना खा रहे हों, या शायद फ्लाइट में अकेले
हों,
जब जीवन आपको सबसे बड़ा सबक दे सकता है। ऐसा ही कुछ एक बार दिलीप कुमार के साथ
हुआ था जब वह एक हवाई सफर पर थे।
अपनी जीवनी 'दिलीप कुमार: द
सबस्टेंस एंड द शैडो' में, दिलीप कुमार ने उस पल को
याद कर लिखते हैं, एक समय था जब वह एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ एक फ्लाइट में बैठे
थे। दिलीप कुमार मायानगरी के ऐसे शख्स थे, जो कहीं भी जाते उनके प्रशंसक
उन्हें घेर लेते। उन्हें देखने के लिए, उनके साथ फोटो खिंचाने
के लिए, ऑटोग्राफ लेने के लिए हर कोई लालायित रहा करता था। कल्पना कीजिए, आप प्लेन में बैठ
बाहरी दृश्य का मजा ले रहे हो तभी आपके पास दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन व
शाहरूख खान जैसी शख्सीयत आकर बैठ जाए तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी। आप चौंक जाएंगे।
आह्लादित हो जाएंगे। खुशी से चिल्लाने लगेंगे। उनसे हजार सवाल करेंगे। फोटो खिंचाने
को बेताब हो जाएंगे, ऑटोग्राफ लेने की आतुरता होगी। लेकिन क्या आपको पता है, जब दिलीप कुमार
जेआरडी टाटा के बगल में आकर बैठे तो इस बिजनेस टायकून ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
जेआरडी टाटा ने ठीक इसके विपरीत काम किया, वे आराम से अपनी सीट पर
बैठे रहे।
दिलीप कुमार ने जेआरडी को परिचय दिया, मैं फिल्म इंडस्ट्री
से हूं।
दिलीप कुमार उस पल को याद कर लिखते हैं, कुछ देर शांत रहने
के बाद हमने उनसे बात करने की कोशिश की। बात होने लगी। दिलीप कुमार ने सिनेमा व फिल्मों
के बारे में बात करते हुए पूछा, 'क्या आप फिल्में देखते
हैं?'
जेआरडी ने टका सा जवाब दिया, 'ओह, बहुत कम। मैंने
एक को कई साल पहले देखा था।' दिलीप कुमार ने अपना परिचय
देते हुए कहा, मैं फिल्म इंडस्ट्री से हूं। जेआरडी ने जवाब दिया, 'ओह, यह अच्छा है। आप क्या करते हैं?'
मैंने जवाब दिया कि मैं एक अभिनेता हूं।
जेआरडी ने नहीं पहचाना तो खुद को अमिताभ बच्चन
बता दिया
जेआरडी टाटा ने उससे आगे कोई सवाल नहीं किया
और जब दोनों उतरे और एक-दूसरे से हाथ मिलाया। दिलीप कुमार ने सोचा कि शायद अमिताभ बच्चन
का नाम लेने से यह आदमी प्रभावित हो जाएगा। उन्होंने कहा, वास्तव में मेरा
नाम अमिताभ बच्चन है। जेआरडी का जवाब था, मैं जेआरडी टाटा हूं। इतना
कहते हुए वह शांत भाव से आगे बढ़ गए।
दिलीप कुमार को मिली सीख, बोले-आपसे भी बड़ा
कोई न कोई होता है।
दिलीप कुमार अपनी बायोग्राफी में लिखते हैं, मुझे इस घटना के
बाद बड़ी सीख मिली। आप एक बड़ा नाम हो सकते हो, लेकिन हमेशा आपसे
भी बड़ा कोई न कोई होता है। उस घटना को याद करते हुए, दिलीप कुमार ने
यह भी उल्लेख किया कि वह जेआरडी टाटा से तब मिले थे जब वह अपने करियर के चरम पर थे
और देश भर के सिने प्रेमी उनपर जान छिड़कते थे।