वैज्ञानिकों ने मानव मस्तिष्क की नकल करने वाला कुशल आर्टिफिशियल नेटवर्क विकसित किया

 - ब्यूरो रिपोर्ट -

  • जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर), बेंगलुरू के वैज्ञानिकों ने जैविक तंत्रिका नेटवर्क जैसा कृत्रिम सिनैप्टिक नेटवर्क (एएसएन) किया विकसित।
  • मेटिरियल्स होराइजन्स' पत्रिका में हाल ही प्रकाशित हुई है यह उपलब्धि।
  • इंसान के जटिल मनोवैज्ञानिक व्यवहारों की नकल कर सकता है सिनैप्टिक डिवाइस।

नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण बनाया है जो मानव मस्तिष्क की ज्ञान से संबंधित क्रियाओं की नकल कर सकता है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तरह काम करने में पारंपरिक तकनीकों की तुलना में अधिक कुशल है, इस प्रकार कम्प्यूटेशनल गति और ऊर्जा की खपत दक्षता को बढ़ाता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब हमारे दैनिक जीवन का एक हिस्सा है, जो ईमेल फिल्टर और संचार में स्मार्ट जवाबों से प्रारंभ होकर कोविड-19 महामारी से लड़ने में सहायता करता है। लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस  सेल्फ-ड्राइविंग ऑटोनॉमस व्हीकल्स, स्वास्थ्य सेवा के लिए संवर्धित रियलिटी, ड्रग डिस्कवरी, बिग डेटा हैंडलिंग, रियल-टाइम पैटर्न/ इमेज पहचान, रियल-वर्ल्ड की समस्याओं को हल करने जैसा बहुत कुछ कर सकता है। इनका अहसास एक न्यूरोमॉर्फिक उपकरण की सहायता से किया जा सकता है जो मस्तिष्क से प्रेरित कुशल कंप्यूटिंग क्षमता प्राप्ति के लिए मानव मस्तिष्क ढांचे की नकल कर सकता है। मानव मस्तिष्क में लगभग सौ अरब न्यूरॉन्स होते हैं। ये न्यूरॉन्स बड़े पैमाने पर एक दूसरे के साथ डेंड्राइट के माध्यम से जुड़ते हैं, जो सिनैप्स नामक विशाल जंक्शन बनाते हैं। माना जाता है कि यह जटिल जैव-तंत्रिका नेटवर्क ज्ञान संबंधी बेहतर क्षमताएं देता है।


कृत्रिम सिनैप्टिक नेटवर्क डिवाइस की इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप छवि की स्कैनिंग बायो-न्यूरल नेटवर्क के समान है, जहां प्रशिक्षण के बाद कुत्ता घंटी सुनकर लार टपकाता है।

सॉफ्टवेयर-आधारित कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क (एएनएन) को खेलों (अल्फागो और अल्फाज़ेरो) में मनुष्यों को हराते हुए या कोविड -19 स्थिति को संभालने में मदद करते हुए देखा जा सकता है। लेकिन पावर-हंग्री  (मेगावाट में) वॉन न्यूमैन कंप्यूटर आर्किटेक्चर उपलब्ध सीरियल प्रोसेसिंग के कारण एएनएन के प्रदर्शन को धीमा कर देता है, जबकि मस्तिष्क समानांतर प्रसंस्करण के माध्यम से केवल 20 वाट्स की खपत करता है। यह अनुमान लगाया गया है कि मस्तिष्क शरीर की ऊर्जा का  कुल का 20% खपत करता है। कैलोरी के  रूपांतरण से यह 20 वाट है जबकि परंपरागत कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म बुनियादी मानव ज्ञान  की नकल करने के लिए मेगावाट, यानी 10 लाख वाट ऊर्जा की खपत करते हैं।

इस बाधा को दूर करने के लिए एक हार्डवेयर आधारित समाधान में एक कृत्रिम सिनैप्टिक उपकरण शामिल होता है, जो ट्रांजिस्टर के विपरीत, मानव मस्तिष्क सिनैप्स के कार्यों का अनुकरण कर सकता है। वैज्ञानिक लंबे समय से एक सिनैप्टिक डिवाइस विकसित करने का प्रयास कर रहे थे जो बाहरी सपोर्टिंग (सीएमओएस) सर्किट की सहायता के बिना जटिल मनोवैज्ञानिक व्यवहारों की नकल कर सकता है। इस चुनौती के समाधान के लिए भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत काम करने वाली स्वायत्त संस्था जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने एक सरल स्व-निर्माण विधि के माध्यम से जैविक तंत्रिका नेटवर्क जैसा एक कृत्रिम सिनैप्टिक नेटवर्क (एएसएन) बनाने का एक नया दृष्टिकोण तैयार किया। यह उपलब्धि मेटिरियल्स होराइजन्स' पत्रिका में हाल ही प्रकाशित हुई है।

फैब्रिकेशन विधि से न्यूरोमॉर्फिक एप्लीकेशनों के लिए एक सिनैप्टिक उपकरण विकसित करने के उद्देश्य सेजेएनसीएएसआर की टीम ने जैविक प्रणाली की तरह न्यूरोनल निकायों और एक्सोनल नेटवर्क कनेक्टिविटी की नकल करने वाली मेटिरियल सिस्टम की खोज की। ऐसी  संरचना साकार करने के लिए उन्होंने पाया कि एक स्व-निर्माण प्रक्रिया आसान, मापनीय और लागत प्रभावी थी। अपने शोध में जेएनसीएएसआर टीम ने सिल्वर (एजी) धातु को शाखायुक्त द्वीपों और नैनोकणों को नैनोगैप पृथक्कीकरण के साथ जैव न्यूरॉन्स और न्यूरोट्रांसमीटर के समान बनाने के लिए तैयार किया जहां डीवेटिंग डिस्कनेक्ट/पृथक द्वीपों या गोलाकार कणों में  फिल्म के टूटने की प्रक्रिया निरंतर होती है। ऐसे आर्किटेक्चर के साथ उच्च किस्म की अनेक ज्ञानात्मक  गतिविधियों का अनुकरण किया जाता है। फैब्रिकेटेड कृत्रिम सिनैप्टिक नेटवर्क (एएसएन) में सिल्वर (एजी) एग्लोमेरेट्स नेटवर्क शामिल हैं, जो अलग-अलग नैनोकणों से भरे नैनोगैप्स द्वारा पृथक किया गया है। उन्होंने पाया कि उच्च तापमान पर एजी फिल्म को गीला करने से  जैव-तंत्रिका नेटवर्क से मिलते-जुलते नैनोगैप्स द्वारा अलग किए गए द्वीप संरचनाओं का निर्माण हुआ।

प्रोग्राम किए गए विद्युत संकेतों का एक रियल वर्ल्ड स्टिमुलस के रूप में उपयोग करते हुए इस वर्गीकृत संरचना ने सीखने की विभिन्न गतिविधियों जैसे कि अल्पकालिक स्मृति (एसटीएम), दीर्घकालिक स्मृति (एलटीएम), क्षमता, अवसाद, सहयोगी शिक्षा, रुचि-आधारित शिक्षा, पर्यवेक्षण का अनुकरण किया। अत्यधिक सीखने के कारण सिनैप्टिक थकान और इसकी आत्म-सुधार की भी नकल की गई। उल्लेखनीय रूप से इन सभी व्यवहारों का अनुसरण एकल मेटिरियल सिस्टम में बाहरी सीएमओएस सर्किट की सहायता के बिना किया गया था। पावलोव के कुत्ते के व्यवहार का अनुकरण करने के लिए एक प्रोटोटाइप किट विकसित की गई है जो न्यूरोमॉर्फिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रति इस उपकरण की क्षमता को दिखाती है।  जेएनसीएएसआर टीम ने जैविक तंत्रिका पदार्थ जैसी एक नैनोमटेरियल का आयोजन करके उन्नत न्यूरोमॉर्फिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को पूरा करने में आगे  कदम बढ़ाया है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि प्रकृति के पास विकास के माध्यम से नए रूपों और कार्यों को करने के लिए असाधारण समय और विविधता है। प्रकृति और जीव विज्ञान से नई प्रक्रियाओं, प्रौद्योगिकियों, सामग्रियों और उपकरणों को सीखना और अनुकरण करना भविष्य की महत्वपूर्ण प्रगति के लिए महत्वपूर्ण मार्ग है जो मानव निर्मित प्रौद्योगिकियों के साथ जीवन से भरी दुनिया को तेजी से एकीकृत करेंगे।

 


Popular posts from this blog

देवदास: लेखक रचित कल्पित पात्र या स्वयं लेखक

नई चुनौतियों के कारण बदल रहा है भारतीय सिनेमा

‘कम्युनिकेशन टुडे’ की स्वर्ण जयंती वेबिनार में इस बार ‘खबर लहरिया’ पर चर्चा