देशव्यापी लॉकडाउन से पहले गरीबों के लिए इंतजाम करने के निर्देश

 - ब्यूरो रिपोर्ट -

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश में जारी कोरोना की दूसरी लहर को काबू करने के लिए केंद्र और राज्यों से लॉकडाउन पर विचार करने को कहा है। रविवार को सुप्रीम कोर्ट में कोरोना वायरस के बढ़ते मामले को लेकर सुनवाई हुई। कोर्ट ने अपने आदेश में माना कि एक बिस्तर के साथ अस्पताल में दाखिला हासिल करना कोविड-19  महामारी की इस दूसरी लहर के दौरान अधिकांश व्यक्तियों द्वारा सामना की जा रही सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। देश में न केवल ऑक्सीजन की किल्लत है बल्कि लोगों को अस्पताल में बेड तक नहीं मिल पा रहे हैं। इसी बीच कोरोना वायरस के इलाज के लिए इस्तेमाल में आने वाली दवाइयों की भी कालाबाजारी धड़ल्ले से हो रही है।

कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने लॉकडाउन के दुष्प्रभावों पर चिंता जताते हुए यह भी कहा कि सरकार अगर लॉकडाउन लगाती है तो गरीबों के लिए पहले से ही इंतजाम किए जाएं। साथ ही कोर्ट ने कोरोना मरीजों को अस्पताल में भर्ती को लेकर दो सप्ताह में राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए केंद्र सरकार से कहा है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को कोरोना वायरस की वैक्सीन का मूल्य निर्धारण और उसकी उपलब्धता, ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की उपलब्धता पर फिर से विचार करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर अनुच्छेद 21 का जिक्र करते हुए कहा कि वैक्सीन के अधिग्रहण की नीति पर दोबारा विचार करना चाहिए। दरअसल 27 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि जिस तरह से केंद्र की मौजूदा वैक्सीन नीति को लागू किया गया है, उसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक स्वास्थ्य के अधिकार में बाधा उत्पन्न होगी, जो संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अभिन्न तत्व है।

दूसरी ओर दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली की ऑक्सीजन की आपूर्ति 3 मई की मध्यरात्रि या उससे पहले ठीक कर ली जाए। इस बीच भारत में एक दिन में 3,68,147 नए कोविड-19 के मामले सामने आए हैं, वहीं इस महामारी के कारण बीते 24 घंटे में 3,417 की मौत हो गई है। देशभर में कोरोना के एक्टिव रोगियों की संख्या 34 लाख के पार जा चुकी है।

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