डिजिटल मीडिया पर लगाम कसने की शुरुआत
पिछले हफ्ते सरकार ने डिजिटल मीडिया के लिए नई गाइड लाइन पेश कर दी और इस तरह सोशल मीडिया कंटेंट को रेगुलेट करने की शुरुआत कर दी है। यह पहली बार है जब हमारे देश में समाचार वेबसाइटों, सोशल मीडिया और ओटीटी सेवाओं के लिए दिशा-निर्देश बनाए गए हैं। सरकार का कहना है कि इन नियमों के पीछे मंशा इंटरनेट पर आम लोगों को और सशक्त बनाने की है। यह मंशा कहां तक पूरी होगी, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना तय है कि नए नियमों से समाचार वेबसाइटों, सोशल मीडिया और ओटीटी सेवाओं की दुनिया में बड़े बदलाव होने की संभावना है।
- श्याम माथुर -
लंबे समय से केंद्र सरकार इस बात की कोशिश
कर रही थी कि इन्फाॅर्मेशन और टैक्नोलाॅजी एक्ट में जरूरी संशोधन करते हुए डिजिटल मीडिया
पर लगाम कसने की दिशा में कदम उठाए जाएं। आखिरकार पिछले हफ्ते सरकार ने डिजिटल मीडिया
के लिए नई गाइड लाइन पेश कर दी है और इस तरह सोशल मीडिया कंटेंट को रेगुलेट करने की
शुरुआत कर दी है। यह पहली बार है जब हमारे देश में समाचार वेबसाइटों, सोशल मीडिया और
ओटीटी सेवाओं के लिए दिशा-निर्देश बनाए गए हैं। सरकार का कहना है कि इन नियमों के पीछे
मंशा इंटरनेट पर आम लोगों को और सशक्त बनाने की है।
नए नियमों में कंटेट मॉडरेशन (कंटेट में बदलाव), ब्लॉक करने के
आदेशों का पालन कराने और शिकायत के निपटारे की व्यवस्था भी शामिल है। सरकार ने यूजर्स
के स्वैच्छिक वेरिफिकेशन, अनुपालन अधिकारी और शिकायत
अधिकारी का भी प्रस्ताव किया है। इसके अलावा सरकार ने 24 घंटे और सातों दिन सम्पर्क
करने के लिए अधिकारी नियुक्त करने के लिए भी कहा है।
इन गाइड लाइंस में सभी ऑनलाइन मीडिया कंपनियों
को सलाह दी गई है कि वो ऑनलाइन कंटेंट का तीन स्तरों पर रेगुलेशन करें। इसके तहत कंपनियों
को कंटेट को पहली बार शेयर करने वाले का पता कैसे लगाया जाए- ये तैयारी करनी होगी और
साथ ही ब्लॉकिंग के अधिकार इंटर मिनिस्ट्रियल कमेटी को देने होंगे। इसी ड्राफ्ट में
ओटीटी प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने की भी बात की गई है, हालांकि 17 बड़े
स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पहले ही कह चुके हैं कि वे सेल्फ रेगुलेशन के लिए तैयार हैं।
लेकिन सूचना-प्रसारण मंत्रालय को सेल्फ रेगुलेशन के संबंध में कई सारी दिक्कतें थीं।
10 तरह के कॉन्टेंट को सोशल मीडिया के लिए
वर्जित बना दिया गया है। इसमें शामिल है वो सामग्री जिस से भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता
को खतरा होता हो, जिससे मित्र देशों से भारत के संबंधों पर खतरा होता हो, जिस से पब्लिक
ऑर्डर को खतरा होता हो, जो किसी जुर्म को करने
के लिए भड़काती हो या जो किसी अपराध की जांच में बाधा डालती हो। इस तरह की सामग्री को
भी वर्जित कर दिया गया है जिससे किसी की मानहानि होती हो, जिसमें अश्लीलता
हो,
जिससे दूसरों की निजता का हनन होता हो, लिंग के आधार पर अपमान
होता हो, जो नस्ल के आधार पर आपत्तिजनक हो और जिससे हवाला या जुए को प्रोत्साहन
मिलता हो।
सोशल मीडिया कंपनियों को आम लोगों से शिकायत
मिलने पर 24 घंटों में उसे दर्ज करना होगा और 15 दिनों के अंदर उस पर कार्रवाई करनी
होगी। इसके लिए सोशल मीडिया कंपनियों को एक शिकायत निवारण अधिकारी और एक अनुपालन अधिकारी
भारत में ही नियुक्त करना होगा। किसी अदालत या किसी सरकारी संस्था से वर्जित सामग्री
को हटाने का आदेश जारी होने के 36 घंटों के अंदर सोशल मीडिया कंपनी को उस सामग्री को
हटाना होगा।
सोशल मीडिया कंपनियों को हर महीने एक रिपोर्ट
भी छापनी होगी जिसमें उन्हें बताना होगा कि उन्हें कितनी और कौन सी शिकायतें मिलीं, उन पर क्या कार्रवाई
की गई और कंपनी ने खुद भी किसी वर्जित सामग्री को हटाया या नहीं। सोशल मीडिया पर फैले
रहे उपद्रवी संदेश या पोस्ट को सबसे पहले किसने भेजा या डाला इसकी पहचान सोशल मीडिया
कंपनी को करनी होगी और उसके बारे में जांच एजेंसियों को बताना होगा।
सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा नियमों का पालन
ना करने पर तीन साल से सात साल तक की जेल और दो लाख से 10 लाख रुपयों तक के जुर्माने
का प्रावधान है। नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम जैसे ओटीटी
सेवाओं को अपने कार्यक्रमों को उम्र के आधार पर पांच श्रेणियों में डालने के लिए, अपने यूजरों
की उम्र मालूम करने के लिए और एडल्ट कार्यक्रमों को बच्चों की पहुंच से परे कर देने
के लिए कहा गया है।
समाचार वेबसाइटों को प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक
मीडिया के लिए पहले से बने हुए नियमों का पालन करना होगा। इसे सुनिश्चित करने के लिए
सूचना और प्रसारण मंत्रालय एक समिति भी बनाएगा।
कुछ ही दिन पहले केंद्र ने संसद को ये जानकारी
दी थी कि सरकार आईटी नियमों में कुछ संशोधन करने जा रही है। सरकार का तर्क यह था कि
इससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भारतीय कानूनों के प्रति ज्यादा जिम्मेदार और उत्तरदायी
बनेंगे। पिछले महीने की शुरुआत में ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और सरकार के बीच
अनेक मुद्दों पर मतभेद हो गए थे। ये मतभेद कंटेंट मॉडरेशन से जुड़े थे। सरकार ने किसान
आंदोलन से संबंधित करीब 1500 ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने के लिए ऑर्डर जारी किया था, लेकिन ट्विटर ने
ऐसा करने से मना कर दिया था।
इसी तरह कई सारे ओटीटी प्लेटफॉर्म जैसे नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम पर
भी बीच-बीच में धार्मिक भावना आहत करने के आरोप लगते रहे हैं। इन मामले में ‘तांडव’ ताजा उदाहरण है।
सोशल मीडिया पर ‘तांडव’ वेब सीरीज का खूब विरोध हुआ और हिंदू धार्मिक
भावनाएं आहत करने के आरोप लगे। अमेजॉन प्राइम पर दिखाई जाने वाली वेब-सीरीज ‘तांडव’ के जरिए धार्मिक
भावनाओं को आहत करने के आरोप में अमेजॉन प्राइम के कार्यक्रमों की भारत में प्रमुख
अपर्णा पुरोहित के खिलाफ देश में 10 अलग-अलग जगहों पर एफआईआर दर्ज हैं। ऐसा एक मामला
अपर्णा और छह और लोगों के खिलाफ ग्रेटर नोएडा में भी दर्ज है, जिसके सिलसिले
में उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दी, तो अदालत ने यह
कहते हुए उनकी अर्जी को ठुकरा दिया कि इस देश के बहुसंख्यक नागरिकों के मौलिक अधिकारों
के खिलाफ एक फिल्म को स्ट्रीम करने की अनुमति देने में उन्होंने सतर्कता नहीं बरती
और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार का परिचय दिया।