सोशल मीडिया पर विरोध किया तो नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी

 - ब्यूरो रिपोर्ट -

नई दिल्ली, 10 फरवरी। ऑनलाइन और ऑफलाइन विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ राज्य सरकारें नए नए हथकंडे अपना रही हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या विरोध प्रदर्शन करने के लिए सजा देना नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन नहीं है? बिहार में राज्य पुलिस ने घोषणा की है कि किसी विरोध-प्रदर्शन में शामिल होने की वजह से अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज होता है तो और उसका नाम पुलिस के आरोप-पत्र (चार्जशीट) में आता है, तो ऐसे व्यक्ति को ना सरकारी नौकरी मिलेगी न सरकारी ठेका।



पुलिस महानिदेशक के आदेश के अनुसार यह सुनिश्चित करने के लिए संबंधित व्यक्ति के चरित्र सत्यापन प्रतिवदेन (कैरेक्टर वेरिफिकेशन रिपोर्ट) में इसकी जानकारी डाली जाएगी। आदेश में नौ ऐसी सेवाओं का जिक्र किया गया है जिनमें इस तरह के पुलिस सत्यापन की जरूरत होती है. इनमें बंदूक लाइसेंस, पासपोर्ट, अनुबंध यानी कॉन्ट्रैक्ट पर मिलने वाली सरकारी नौकरियां, सरकारी ठेके, गैस एजेंसी और पेट्रोल पंप के लाइसेंस, सरकारी सहायता या अनुदान, बैंकों से लोन आदि शामिल हैं।

बिहार पुलिस पहले ही ट्विटर, फेसबुक जैसे मंचों पर सरकार की आलोचना करने वालों के खिलाफ साइबर क्राइम के आरोप में कार्रवाई करने की घोषणा कर चुकी है। अब उत्तराखंड सरकार भी ऐसा ही कुछ करने की योजना बना रही है। राज्य के पुलिस महानिदेशक ने कहा है कि सोशल मीडिया पर "एंटी नैशनल" और "एंटी सोशल" टिप्पणी लिखने वालों का रिकॉर्ड रखा जाएगा और इसकी जानकारी उनकी पुलिस सत्यापन रिपोर्ट में शामिल की जाएगी। इसका असर यह होगा कि पासपोर्ट या अन्य सरकारी सेवाओं में जब ऐसे लोग आवेदन करेंगे तो उनका रिकॉर्ड खराब होगा और उनका आवेदन मंजूर होने की संभावना काम हो जाएगी।

पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि ऐसी टिप्पणी करने वालों को पहली बार तो समझाया जाएगा लेकिन अगर व्यक्ति ने दोबारा ऐसा किया तो उनके रिकॉर्ड में यह सब डाल दिया जाएगा। इन दोनों कदमों को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले के रूप में देखा जा रहा है. बिहार पुलिस के आदेश पर ट्वीट करते हुए विधान सभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इसे तानाशाही बताया।

सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने इसे इसे नाजी जर्मनी जैसे पुलिस स्टेट द्वारा उठाया गया कदम बताया। यह सभी आदेश ऐसे समय पर आए हैं जब दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पुलिस ने 26 जनवरी को किसान परेड के दौरान हुई घटनाओं के लिए उन घटनाओं के बारे में ट्वीट करने वालों को भी जिम्मेदार ठहराया है। पहले तो केंद्र सरकार की शिकायत पर ट्विटर ने ऐसे कई खातों को ब्लॉक कर दिया था लेकिन जब कंपनी ने उन्हें बहाल कर दिया तो सरकार ने इसके लिए ट्विटर के खिलाफ ही कार्रवाई की चेतावनी दे दी।

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