बस्तर की एकमात्र आदिवासी महिला पत्रकार पुष्पा रोकड़े को जान से मारने की धमकी
- ब्यूरो रिपोर्ट -
नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के बस्तर के बीजापुर
में एकमात्र आदिवासी महिला पत्रकार पुष्पा रोकड़े को जान से मारने की मिल रही धमकियों
को लेकर द नेटवर्क ऑफ विमेन इन मीडिया इंडिया (एनडब्ल्यूएमआई) ने चिंता जताई है। मीडिया
संगठन ने पत्रकारों को उनका काम करने से रोकने के लिए डराने और धमकाने के सभी प्रयासों
की भी निंदा की है। एनडब्ल्यूएमआई ने बयान जारी कर कहा कि पुष्पा को 13 दिसंबर
2020 को जान से मारने की धमकी मिली थी जिस पर कथित तौर पर माओवादी दक्षिण बस्तर पामेड
एरिया समिति के हस्ताक्षर थे।
इस धमकी भरे पत्र को बीजापुर जिले में पुस्कुंटा
गांव के पास एक पेड़ पर लगाया गया था। इसके बाद 28 जनवरी 2021 को पुष्पा को एक बार
फिर जान से मारने की धमकी दी गई, इस बार भी हाथ से लिखे
गए नोट पर यह धमकी दी गई। यह भी कथित तौर पर माओवादी धड़े द्वारा दी गई थी।
नोट में पुष्पा पर पुलिस की मुखबिर होने का
आरोप लगाया गया, जिसमें कहा गया था कि वह विरोध प्रदर्शन रैलियों के बारे में
पुलिस को जानकारियां देती हैं। पुष्पा ने जब माओवादियों से इस पर स्पष्टीकरण मांगा
तो उन्हें कोई जवाब नहीं मिला लेकिन माओवादी समिति द्वारा भी ना तो इनकार किया गया
और ना ही इसे वापस लिया गया। न्यूजलॉन्ड्री की रिपोर्ट के मुताबिक, बस्तर की एकमात्र
महिला रिपोर्टर पुष्पा रोकड़े ‘प्रखर समाचार’ अखबार में रिपोर्टर
थीं लेकिन इसके बीजापुर संस्करण के बंद होने के बाद उनकी नौकरी चली गई थी।
वह बस्तर की एकमात्र आदिवासी महिला पत्रकार
हैं। पुष्पा एक दुर्घटना का भी शिकार हुई थीं और मेडिकल बिल की वजह से उनकी वित्तीय
स्थिति खराब हो गई थी। एक दूरवर्ती गांव में सड़क निर्माण कार्य में सुपरवाइजर के तौर
पर काम कर रही पुष्पा लगातार एक ई-पेपर के लिए रिपोर्टिंग करती रही और दिसंबर 2020
में जारी की गई ये धमकी उनके उसी काम से ही जुड़ी हुई थी।
बयान में कहा गया, ‘लोगों से जुड़े
मुद्दों पर उनकी रिपोर्टिंग को देखते हुए यह आरोप कि वह पुलिस मुखबिर है, सिर्फ शरारती नहीं
बल्कि छत्तीसगढ़ जैसे ध्रुवीकृत संघर्षरत क्षेत्र में खतरनाक भी है, जहां माओवादियों
ने पुलिस मुखबिर होने की वजह से लोगों को क्रूर दंड दिए हैं।’ एनडीटीवी की
2013 की रिपोर्ट के मुताबिक, संदिग्ध सशस्त्र माओवादियों
ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के एक साप्ताहिक बाजार मे पत्रकार साईं रेड्डी की बर्बर
हत्या कर दी थी।
यह हमला दिनदहाड़े हुआ था। एक अन्य पत्रकार
नेमीचंद जैन की भी 2013 में माओवादियों द्वारा हत्या की गई थी। बयान में कहा गया कि
माओवादियों ने पुलिस मुखबिर होने के संदेह में ग्रामीणों और ठेकेदारों की भी हत्या
की है। इस तरह की एक घटना 26 जनवरी 2021 में छत्तीसगढ़ में हुई थी।
राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून
के संदर्भ में इस बयान में कहा गया, ‘छत्तीसगढ़ में पत्रकारों
की सुरक्षा के लिए विवादास्पद मसौदे को दिसंबर 2020 में अंतिम रूप दिया गया, जिसका उद्देश्य
पत्रकारों को बिना डरे और बिना किसी दबाव में काम करने देना है लेकिन पुष्पा रोकड़े
जैसी स्थानीय महिला पत्रकार, जो इसी इलाके में रहती
और काम करती हैं, उनके लिए यह दूर की कौड़ी जैसा है।’
एनडब्ल्यूएमआई ने कहा कि वह पुष्पा रोकड़े
के साथ एकजुटता से खड़े हैं और बस्तर की अनकही कहानियों को बताने के लिए उनकी प्रतिबद्धता
का समर्थन करते हैं। इस बयान में छत्तीसगढ़ के मीडिया घरानों से भी आग्रह किया गया
कि वे अपने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए हर तरीके से सामूहिक काम करें और उनकी आर्थिक
स्थिति को मजबूत करें और उन्हें रोजगार सुरक्षा दें ताकि वे बिना किसी डर या पक्षपात
के काम कर सकें।