डिजिटल मीडिया के सेल्फ रेगुलेशन के लिए बनेगा कानून

 - ब्यूरो रिपोर्ट -

केंद्र सरकार नेटफ्लिक्स, एमेजॉन प्राइम और हॉटस्टार सहित देश में चलने वाले सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल मीडिया के स्व-नियमन यानी सेल्फ रेगुलेशन के लिए कानून बनाने जा रही है। जिस तरह प्रिंट मीडिया के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया है, फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड है और टीवी चैनल्स के लिए केवल टेलीविजन नेटवर्क्स रेगुलेशन एक्ट है, ठीक उसी तर्ज पर केंद्र सरकार ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल मीडिया के नियमन के लिए कानून बना रही है। अब तक ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल मीडिया के रेगुलेशन के लिए कोई कानून नहीं था।



सरकार के प्रस्तावित कानून का मकसद फेक न्यूज और सेंसेटिवि वीडियो कंटेंट की समस्याओं का समाधान करना है। आपको बता दें कि भारत में कम से कम 40 ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और सैंकड़ों न्यूज वेबसाइट्स हैं, जिनपर सेल्फ-रेगुलेशन के लिए यह प्रस्तावित कानून लागू होगा। एचटी में छपी खबर के मुताबिक, सरकार ने इसी महीने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल मीडिया के सेल्फ रेगुलेशन के लिए कानून बनाना शुरू किया है।

 

सूत्रों ने बताया कि सूचना प्रसारण मंत्रालय इस कानून को लेकर बेहद सतर्क है कि इससे किसी भी प्रकार से अभिव्यक्ति की आजादी का हनन नहीं हो। इसके लिए सूचना-प्रसारण मंत्रालय इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ मिलकर लगभग एक साल से ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल के सेल्फ रेगुलेशन के लिए काम कर रही है। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि एसोसिएशन ने जो सेल्फ-रेगुलेशन मैकेनिज्म का प्रस्ताव तैयार किया है, वह ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को फेवर करने वाला है। सरकार इसे ठीक करने पर काम कर रही है।

साथ ही डिजिटल मीडिया से संबंधित शिकायतों के निपटारे के लिए भी एक अलग मैकेनिज्म बनाने पर काम कर रही है। आपको बता दें कि सूचना-प्रसारण मंत्रालय को ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लीलता और गाली-गलौज सहित भद्दी भाषा के प्रयोग की रोज सैकडों शिकायतें मिलती हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए सरकार रेगुलेटरी बॉडी या कानून बनाने के लिए बाध्य हुई है। इसके अलावा सरकार ऑस्ट्रेलियन मॉडल की भी जांच-परख कर रही है, जिसमें गूगल और फेसबुक जैसे मल्टीनेशनल टेक प्लेटफॉर्म्स को लोकल न्यूज कंटेट के लिए पैसा चुकाना होता है।

 

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