मीडिया के खिलाफ शिकायतों की जांच, स्वतंत्र निकाय बनाने पर सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार
- ब्यूरो रिपोर्ट -
नई दिल्ली। मीडिया व्यवसाय के खिलाफ शिकायतों
के लिए स्वतंत्र निकाय बनाने पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा। सुप्रीम कोर्ट
ने इस संबंध में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। मुख्य न्यायाधीश
एस ए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने मीडिया-व्यवसायों के खिलाफ दर्शकों द्वारा दायर
शिकायतों की शीघ्र सुनवाई के लिए एक स्वतंत्र, नियामक मीडिया
ट्रिब्यूनल की स्थापना की याचिका पर ये नोटिस जारी किया है। गौरतलब है कि नीलेश नवलखा
ने याचिका दाखिल कर कहा है कि सरकार प्रोग्राम कोड के उल्लंघन से निपटने में सक्षम
नहीं है और इस तरह के उल्लंघन की जांच करने का अधिकार एक स्वतंत्र निकाय को दिया जाना
चाहिए।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि मीडिया-व्यवसायों
के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत बोलने और अभिव्यक्ति
की स्वतंत्रता के अधिकार और नागरिकों के सूचना के अधिकार व अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा
का अधिकार व प्रतिष्ठा के अधिकार के बीच संतुलन लाने के लिए और साथ ही साथ राष्ट्र
में शांति और सद्भाव के संरक्षण के हितों में यह जरूरी है। पिछले कुछ वर्षों में, मीडिया ट्रायल, हेट स्पीच, प्रचार समाचार, पेड न्यूज, दिन का क्रम बन
गए हैं जिससे पीड़ितों के निष्पक्ष ट्रायल का अधिकार और निष्पक्ष और आनुपातिक रिपोर्टिंग
का अधिकार बाधित हो गया है।
याचिकाकर्ता के अनुसार, जवाबदेही के बिना
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा रिपोर्ट, बिना किसी कल्पना के, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया
द्वारा आनंदित बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार में पढ़ा जा सकता है। वर्तमान
याचिका मीडिया-व्यवसाय के मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाने के लिए नहीं है बल्कि केवल
गलत सूचना, भड़काऊ कवरेज, फर्जी समाचार, निजता के उल्लंघन
आदि के लिए कुछ जवाबदेही लाने के लिए है। उन्होंने एक स्वतंत्र उच्चाधिकार समिति की
स्थापना की मांग की जिसकी अध्यक्षता एक सुप्रीम कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त
मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश करें और विभिन्न क्षेत्रों/व्यवसायों और केंद्र सरकार
के संबंधित हितधारकों से प्रतिष्ठित नागरिकों को शामिल किया जाए जो मीडिया-व्यवसाय
विनियमन से संबंधित संपूर्ण कानूनी ढांचे की छानबीन और समीक्षा करे और सर्वोच्च न्यायालय
द्वारा निर्धारित उचित दिशानिर्देशों की सिफारिश करे।