डिजिटल मीडिया में विदेशी निवेश 26 फीसदी से अधिक नहीं होगा
ब्यूरो रिपोर्ट
नई दिल्ली। डिजिटल मीडिया को नियंत्रित करने
की दिशा में पहला कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने जिन कंपनियों में विदेशी निवेश 26
प्रतिशत से ज्यादा है, उन्हें निर्देश दिया है
कि वे इस निवेश को कम करें और इसे 26 फीसदी तक ले आएं। इसके लिए सरकार ने कंपनियों
को अगले साल अक्टूबर तक का समय दिया है। जिन कंपनियों में 26 फीसदी से कम विदेशी हिस्सेदारी
है,
उन्हें इससे संबंधित पूरा ब्यौरा एक महीने के अंदर पेश करना होगा। इसमें शेयर होल्डिंग
से संबंधित पूरी जानकारी देना अनिवार्य होगा।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर सोमवार को
जारी आदेश के मुताबिक, डिजिटल मीडिया कंपनियां
जो समाचार और करेंट अफेयर्स के सेगमेंट में शामिल हैं, उन्हें भारत के
विदेशी फंडिंग के नियमों का पालन करना होगा। आदेश के मुताबिक जिन कंपनियों में 26 प्रतिशत से ज्यादा
हिस्सेदारी होगी, उन्हें इसे कम करना होगा।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अमरेंद्र
सिंह द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि वो कंपनियां, जिनका फिलहाल इक्विटी
का स्ट्रक्चर है और विदेशी निवेश 26 प्रतिशत से ज्यादा है, उन्हें भी इसी
तरह का विवरण देना होगा। उन्हें एक महीने के भीतर यह बताना होगा कि वे कैसे और किस
तरह से विदेशी हिस्सेदारी को कम करेंगी। हिस्सेदारी कम करने के लिए उन्हें सूचना एवं
प्रसारण मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी।
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता
में कैबिनेट ने डिजिटल मीडिया के जरिये अपलोडिंग या खबरों के प्रसारण या करेंट अफेयर्स
से जुड़ी कंपनियों में विदेशी निवेश को घटाने की जरूरत बताई थी। उसी के एक साल बाद अब
यह फैसला आ गया है। पिछले हफ्ते ही सरकार ने डिजिटल मीडिया को रेगुलेशन के तहत लाने
की बात कही थी। केंद्र सरकार ने नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार और अमेजन प्राइम
जैसी ओटीटी पर जारी होने वाली फिल्मों समेत सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर प्रसारित होने
वाली ऑडियो विजुअल्स, समाचार और करंट अफेयर्स कंटेट पर अपनी निगरानी बढ़ा दी है। केंद्र
सरकार के नए आदेश के मुताबिक, अब ये सभी सूचना और प्रसारण
मंत्रालय (एमआईबी) के डोमेन में आएंगे। अब इन पर मंत्रालय की निगरानी रहेगी कि इन चैनलों
पर क्या प्रसारित हो रहा है।
डिजिटल मीडिया क्षेत्र की वे कंपनिया जो नया
विदेशी लाना चाहती हैं, उन्हें भी केंद्र सरकार
से मंजूरी लेनी होगी। यह मंजूरी फॉरेन इन्वेस्टमेंट
फेसिलिटेशन पोर्टल से लेनी होगी। यह पोर्टल डीपीआईआईटी के रूप में है।वहीं कंपनियों को विदेशी
कर्मियों की तैनाती से पहले मंत्रालय की स्वीकृति लेनी होगी, इसके बाद विदेशी
कर्मियों की तैनाती की जाएगी।