संपूर्ण क्रांति के जनक जयप्रकाश नारायण ने देश को दिलाई दूसरी आजादी

पटना । आज लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती है। भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को संरक्षित रखने में जयप्रकाश नारायण का अमूल्य योगदान है। जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 में बिहार के सारण में हुआ था। उन्होंने 1970 के दशक में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व किया था। उन्हें लोकसेवा के लिए 1999 में भारत रत्न और 1965 में मैगसेसे से सम्मानित किया गया। जय प्रकाश नारायण जिनकी हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ता था। जयप्रकाश नारायण इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध थे। स्वतंत्रता आंदोलन के बाद देश को आजादी मिली, लेकिन दूसरी बार आजादी दिलाने का श्रेय जेपी को जाता है।  ये वो वक्त था जब संपूर्ण क्रांति के जनक जयप्रकाश नारायण ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन के खिलाफ आंदोलन किया और देश में लोकतंत्र की दोबारा बहाली की। 



जयप्रकाश नारायण को इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना गया। इन्दिरा गांधी को पदच्युत करने के लिये 'सम्पूर्ण क्रांति' नामक आन्दोलन चलाया। सम्पूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि इंदिरा गाँधी को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था। बिहार से उठी सम्पूर्ण क्रांति की चिंगारी देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी थी।


जेपी के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे। लालमुनि चौबे, मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान या फिर सुशील मोदी, आज के जानेमाने दिग्गज नेता संपूर्ण क्रांति छात्र गुट का हिस्सा थे। जयप्रकाश नारायण समाज-सेवक थे, जिन्हें 'लोकनायक' के नाम से भी जाना जाता है।


जयप्रकाश नारायण ने 5 जून को संपूर्ण क्रांति की घोषणा की।  संपूर्ण क्रांति को लेकर जो आंदोलन चला उसमें बिहार से बड़ी संख्या में नौजवानों ने हिस्सा लिया। इसके बाद इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी।  इमरजेंसी हटाने के बाद इंदिरा गांधी ने खुफिया रिपोर्ट्स के आधार पर चुनाव करवाने का फैसला किया, उनको उम्मीद थी कि वो जीतकर फिर सत्ता में आ जाएंगी, इसलिए सभी नेताओं को जेल से रिहा कर दिया गया। लेकिन ये दांव उलटा पड़ गया क्योंकि, जेपी की लहर में इंदिरा और संजय सरकार बनाना तो दूर खुद की सीट भी नहीं बचा पाए थे। 


मार्च 1977 के चुनाव में उत्तर भारत से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया और मोरारजी देसाई की अगुवाई में जनता पार्टी की सरकार बन गई।  हालांकि जीत के बाद भी जयप्रकाश नारायण विजयी भाषण देने नहीं गए और इंदिरा गांधी से मिलने चले गए थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि ये लोकनायक के व्यक्तित्व का सर्वोत्तम गुण था। 


1999 में उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मनित किया गया। जयप्रकाश नारायण को समाजसेवा के लिये 1965 में मैगससे पुरस्कार भी प्रदान किया गया। पटना हवाई अड्डे का नाम जयप्रकाश नारायण के नाम पर रखा गया। दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल 'लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल' नाम से जाना गया। जयप्रकाश नारायण का निधन 8 अक्टूबर 1979 को हुआ। तत्प्रकालीन धानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने जयप्रकाश नारायण के सम्मान में 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी। 


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