वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट सहित 13 कानूनों का ओएसएच संहिता में विलय, लोकसभा में पारित

नई दिल्ली। लोकसभा ने कल श्रम सुधारों से संबंधित 3 विधेयक पारित कर दिए, इनमें व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशाएं संहिता, 2020 (ओएसएच संहिता) भी शामिल है। पहले से मौजूद 13 कानूनों को भी अब इस विधेयक में ही शामिल कर दिया गया है। इनमें श्रमजीवी पत्रकार एवं अन्य समाचार-पत्र कर्मचारी (सेवा-शर्तें) एवं प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम, 1955 और श्रमजीवी पत्रकार (वेतन की दरों का निर्धारण) अधिनियम, 1958 भी हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि अब वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट का अलग से कोई अस्तित्व नहीं रह जाएगा और श्रमजीवी पत्रकारों से संबंधित नियम-कायदे ओएसएच संहिता के अनुसार ही तय किए जाएंगे।



श्रम और रोजगार राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने लोकसभा में बहस का जवाब देते हुए कहा कि देश में ऐतिहासिक श्रम सुधारों के लिए सदन में प्रस्तुत किए गए तीनों विधेयक देश के 50 करोड़ से अधिक संगठित और असंगठित कामगारों के लिए श्रम कल्याण सुधारों में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने वाले साबित होंगे। इससे गिग और  प्लेटफॉर्म कामगारों के साथ-साथ स्व-नियोजन क्षेत्र के कामगारों की सामाजिक सुरक्षा के लिए द्वार भी खुलेंगे।
उन्होंने कहा कि ये विधेयक देश में अति आवश्यक श्रम कल्याण सुधार लाने की सरकार की चाहत का भाग हैं जो पिछले 73 वर्षों में नहीं किए गए हैं। पिछले 6 वर्षों में, सभी हितधारकों अर्थात ट्रेड यूनियनों, नियोजकों, राज्य सरकारों और श्रम क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ अनेक बार विचार-विमर्श किया गया। इनमें 9 त्रिपक्षीय परामर्श, उप-समिति की चार बैठकें, 10 क्षेत्रीय सम्मेलन, 10 अंतर-मंत्रालयी परामर्श तथा नागरिकों के मत भी शामिल हैं।
गंगवार ने कहा कि सरकार कामगारों के सामने पेश आने वाली समस्याओं से दुखी है और श्रम मंत्रालय संगठित और असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा और अन्य कल्याणकारी उपायों का प्रावधान करने के लिए अथक रूप से कार्य कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि औपचारिक नियोजन से ईपीएफओ की पोर्टेबिलिटी में वृद्धि हुई है तथा हमारे साथी नागरिकों के लिए कल्याण योजनाओं तथा ईएसआईसी सुविधाओं का विस्तार होगा।
गंगवार ने व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशा संहिता, 2020 की खूबियों का उल्लेख करते हुए जानकारी दी कि अब नियोक्ता द्वारा एक निर्धारित आयु से अधिक आयु वाले कामगारों के लिए वर्ष में एक बार निशुल्क चिकित्सा जांच कराना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, पहली बार कामगारों को नियुक्ति पत्र प्राप्त करने का कानूनी अधिकार दिया गया है। सिने कामगार को श्रव्य-दृश्य कामगार के रूप में नामित किया गया है, ताकि अधिक से अधिक कामगार ओएसएच संहिता के तहत कवर हो सकें। पहले यह सुरक्षा केवल फिल्मों में काम करने वाले कलाकारों को दी जा रही थी।
गौरतलब है कि ओएसएच संहिता को लोकसभा में 23 जुलाई 2019 को पेश किया गया था। यह संहिता सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाज के हालात पर 13 केंद्रीय कानूनों को एक में ही समाहित कर देगी। ओएसएच संहिता में कई नई पहल की गयी हैं। इनमें कर्मचारियों को अनिवार्य तौर पर नियुक्ति पत्र जारी करना, वार्षिक मुफ्त स्वास्थ्य जांच कराना शामिल है। गंगवार ने कहा कि मोदी सरकार 2014 में जब से सत्ता में आयी है, श्रम कानूनों में सुधार के लिए लगातार काम कर रही है।  


Popular posts from this blog

देवदास: लेखक रचित कल्पित पात्र या स्वयं लेखक

नई चुनौतियों के कारण बदल रहा है भारतीय सिनेमा

‘कम्युनिकेशन टुडे’ की स्वर्ण जयंती वेबिनार में इस बार ‘खबर लहरिया’ पर चर्चा