नशे के दलदल में डूबा फिल्म उद्योग

बॉलीवुड से नशे का यह कनेक्शन नया नहीं है। इंडस्ट्री के शुरुआती दिनों से ही बड़े कलाकारों के नशे के किस्से चर्चित रहे हैं, लेकिन इस बार नायिकाओं से जुड़ी चर्चा ने एक बार फिर समाज में गहरे तक फैल चुकी नशे की जड़ोें को खंगालने का अवसर दे दिया है।



तीन माह से अधिक का समय गुजर जाने के बावजूद अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला भले ही न सुलझ पाया हो, लेकिन उनकी मौत के कारणों की पड़ताल के बीच बॉलीवुड में उधड़ी नशे की परतों ने देश में एक नई बहस छेड़ दी है। कई नामी गिरामी हस्तियों के नाम सामने आने के बाद नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने समन जारी कर इनसे पूछताछ शुरू कर दी है। इस पूछताछ में लगातार नए-नए खुलासे हो रहे हैं और इस पूछताछ में आगे और भी खुलासे होने की संभावना है। हालांकि बॉलीवुड से नशे का यह कनेक्शन नया नहीं है। इंडस्ट्री के शुरुआती दिनों से ही बड़े अभिनेता और अभिनेत्रियों के नशे के किस्से चर्चित रहे हैं, लेकिन इस चर्चा ने एक बार फिर समाज में गहरे तक फैल चुकी नशे की जड़ोें को खंगालने का अवसर दे दिया है।



अभिनेत्री कंगना की ओर से उठाए गए बॉलीवुड में ड्रग्स के मुद्दे की अब हर ओर चर्चा हो रही है। अब तक इस मुद्दे पर कई फिल्मी सितारे अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं। कई सितारों ने जहां कंगना के दावों और बयानों की आलोचना की है, वहीं कई ने उनकी बातों को सही बताया है। फिल्म उद्योग की कुछ हस्तियों का कहना है कि यह केवल फिल्म इंडस्ट्री के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज की वर्तमान समस्या है। दरअसल ग्लैमर की ये दुनिया बाहर से चमकदार नजर आती है, लेकिन हम अगर सिक्के के दूसरे पहलू को देखें तो ‘ग्लैमर’ की दुनिया को कास्टिंग काउच, लव अफेयर्स, टूटते रिश्ते और ड्रग एडिक्शन जैसे चीजों ने घेरा हुआ है। ऐसा लगता है कि ड्रग का सहारा लेना फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बन गया है। शायद इसीलिए बीजेपी सांसद रवि किशन ने हाल ही खत्म हुए संसद के मॉनसून सत्र में बॉलीवुड में ड्रग्स का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि देश के युवाओं के भविष्य के लिए इस मामले की गहराई से जांच करने की बेहद जरूरत है। बाद में रवि किशन को ड्रग्स का मामला उठाने की वजह से कथित तौर पर धमकियां मिलने लगीं। इन धमकियों पर उन्होंने फिल्मी स्टाइल में कहा कि देश के भविष्य के लिए 2-5 गोली खा लेंगे, तो कोई चिंता नहीं है। 
रवि किशन ने संसद में साफ-साफ कहा कि ड्रग की लत फिल्म इंडस्ट्री में भी है। कई लोगों को पकड़ा गया है। उन्होंने ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह केंद्र सरकार से किया। रवि किशन के इस बयान के बाद समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने उन पर जमकर हमला बोला था और यहां तक कह दिया था कि कुछ लोग जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद कर रहे हैं। वहीं फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप ने आरोप लगाया था कि रवि किशन खुद वीड लेते थे। अब नेता बन गए हैं तो शायद ये सब ना करते हों। 
इस तरह की बयानबाजी से कम से कम एक बात तो साफ हो गई कि ड्रग्स के साथ फिल्म उद्योग का रिश्ता बहुत पुराना है और अब नशे के जहर ने फिल्म उद्योग में गहराई तक जड़ें जमा ली हैं। सीन सिर्फ इतना ही बदला है कि पहले जहां संजय दत्त और फरदीन खान जैसे लोगांे के नाम ही सामने आते थे और अब दीपिका पादुकोण और सारा अली खान जैसी अभिनेत्रियों के नाम भी खुलकर सामने आ गए हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि न सिर्फ नायक, बल्कि नायिकाओं के लिए भी फिल्मों के जरिये मिली कामयाबी का नशा ही काफी नहीं है, बल्कि उन्हें बाहरी दुनिया में भी नशे को तलाशना पड़ता है। 
थोड़ा पीछे मुड़कर देखें तो इस कड़ी में सबसे पहले संजय दत्त का नाम सामने आता है। छुटपन से ही नशे के आदी बन चुके संजय दत्त 1981 में अपनी मां नरगिस की मौत के बाद पूरी तरह नशे की लत में डूब गए थे और उन्हें जेल तक की हवा खानी पड़ी। ड्रग्स रखने के केस में 1982 में उन्हें 5 महीनों की जेल हुई थी, उस वक्त उनके पिता सुनील दत्त ने उन्हें इन मुश्किलों से उबारा था। संजय दत्त को नशे के दलदल से बाहर निकालने के लिए सुनील दत्त उन्हें अमेरिका लेकर गए और पूरे तीन साल के इलाज के बाद संजय दत्त ने बॉलीवुड में वापसी की।


फिरोज खान के बेटे फरदीन का भी नशे के कारोबार से ताल्लुक रहा है। अपने घर में कोकीन रखने के आरोप में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने फरदीन को गिरफ्तार किया था। लेकिन बाद में कोर्ट में वे बरी हो गए, हालांकि इस एपीसोड के बाद उनका फिल्मी कॅरियर चैपट हो गया। कुछ ऐसी ही दास्तान मनीषा कोइराला की है। बॉलीवुड में सफल कॅरियर के बाद मनीषा को ड्रग्स, स्मोकिंग और शराब की लत लग गई थी। इसी दौरान उन्हें कैंसर की बीमारी के बारे में पता चला और तब उन्होंने ड्रग्स से किनारा कर लिया। मौजूदा दौर के कलाकारों में रणबीर कपूर और शाहिद कपूर का नाम भी उन लोगों में शामिल बताया जा रहा है, जिन्हें नशे की लत है। फिल्म ‘राॅक स्टार‘ के दौरान रणबीर ने खुद कबूला था कि स्कूल के दिनों से ही उन्होंने ड्रग्स लेना शुरू किया था और जल्द ही यह उनकी आदत बन गई थी। लेकिन अब रणबीर अपनी इस बुरी लत से छुटकारा पा चुके हैं।
देश में गैर-कानूनी ड्रग्स के मामले में आम तौर पर एनडीपीसी एक्ट- 1985 की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की जाती है। इसमें नशीले पदार्थ का सेवन करना, रखना, बेचना या उसका आयात निर्यात करना या फिर इस कारोबार में किसी की सहायता करना, सभी में गंभीर सजाओं के प्रावधान हैं। जुर्म के हिसाब से इसमें सजाएं तय हैं।  इस कानून के अंतर्गत सरकार विशेष न्यायालयों की स्थापना त्वरित मुकदमा चलाने के लिए कर सकती है और जितने विशेष न्यायालयों की व्यवस्था की जरूरत हो स्थापना कर सकती है। ऐसे अपराध जिनमें तीन वर्ष से अधिक का कारावास होता है, इनका ट्रायल विशेष न्यायालयों में होता है। आने वाले दिनों में यह देखना वाकई दिलचस्प होगा कि ड्रग्स के इस गोरखधंधे में फिल्म उद्योग के और कितने नाम बेनकाब होते हैं।


 


 


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