कहानी सुनाने की कला 'किस्सागोई' को फिर से लोकप्रिय बनाने का आग्रह
प्रधानमंत्री ने देश में कहानी कहने या कहें कि किस्सागोई की समृद्ध परंपरा पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत ने हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा का पोषण किया है जहां कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गई ताकि विवेक और बुद्धिमत्ता की बातों को आसानी से समझाया जा सके। उन्होंने धार्मिक कहानियां कहने की एक प्राचीन पद्धति ‘कथा‘ का उल्लेख किया, तमिलनाडु और केरल में ‘विल्लू पाट‘ का उदाहरण दिया जो कहानी और संगीत का एक आकर्षक सामंजस्य है और कठपुतली की जीवंत परम्परा की भी चर्चा की। उन्होंने विज्ञान और विज्ञान कथाओं पर आधारित किस्सा-गोई की बढ़ती लोकप्रियता को भी नोट किया।
प्रधानमंत्री ने आईआईएम, अहमदाबाद के पूर्व छात्र श्री अमर व्यास द्वारा संचालित ‘Gathastory.in’ , मराठी में सुश्री वैशाली व्यवहारे देशपांडे की पहल, चेन्नई की सुश्री श्रीविद्या वीर राघवन की पहल, जो हमारी संस्कृति से संबंधित कहानियों को लोकप्रिय बनाने एवं प्रसारित करने से जुड़ी हैं, सुश्री गीता रामानुजम द्वारा ‘kathalaya.org’ की पहल, इंडियन स्टोरीटेलिंग नेटवर्क और बंगलुरु में श्री विक्रम श्रीधर द्वारा किए जा रहे कार्य, जो महात्मा गांधी से संबंधित कहानियों को लेकर बहुत उत्साहित हैं, सहित किस्सा-गोई के कला रूपों को बढ़ावा देने में कई पहलों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने सुश्री अपर्णा अत्रेय और बंगलुरु स्टोरीटेलिंग सोसाइटी के अन्य सदस्यों से भी परस्पर बातचीत की। ग्रुप ने परस्पर बातचीत के दौरान राजा कृष्ण देव राय तथा उनके मंत्री तेनाली राम पर एक कहानी भी सुनाई।
प्रधानमंत्री ने कहानीकारों से ऐसा तरीका खोजने का आग्रह किया जो देश की नई पीढ़ी को कहानियों के माध्यम से महापुरुषों और महान नारियों के साथ जोड़ सकें। उन्होंने कहा कि कहानी कहने की कला को अवश्य ही प्रत्येक घर में लोकप्रिय बनाया जाना चाहिए और बच्चों को अच्छी कहानियां सुनाना सार्वजनिक जीवन का एक हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने विचार व्यक्त किया कि प्रत्येक सप्ताह, परिवार के सदस्यों को करुणा, संवेदनशीलता, वीरता, बलिदान, बहादुरी, आदि जैसी विषय वस्तुओं का चयन करना चाहिए और प्रत्येक सदस्य को उस विषय पर एक कहानी सुनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश शीघ्र ही स्वतंत्रता का 75वां वर्ष मनाने जा रहा है और कहानी सुनाने वालों से आग्रह किया कि वे अपनी कहानियों के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणादायी कहानियों को प्रसारित करें। प्रधानमंत्री ने उनसे इन कहानियों के माध्यम से नई पीढ़ी को 1857 से लेकर 1947 तक की प्रत्येक बड़ी और छोटी घटनाओं को प्रस्तुत करने को कहा।