दुनिया में पहली बार रोबोट ने लिखा संपादकीय, 'गार्जियन' ने किया प्रकाशित

रोबोट ‘जीपीटी-3' द्वारा लिखे गए संपादकीय आलेख को पढ़ने के लिए क्लिक करेंः


https://www.theguardian.com/commentisfree/2020/sep/08/robot-wrote-this-article-gpt-3


जयपुर। मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की बढ़ती भाषा संबंधी योग्यताओं को खारिज करने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण खबर। ब्रिटेन के अखबार ‘गार्जियन' ने अपने इंटरनेशनल एडिशन में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से लैस रोबोट ‘जीपीटी-3' द्वारा लिखे गए एक आलेख को प्रकाशित किया है। ‘गार्जियन' का दावा है कि यह पूरा आर्टिकल ‘जीपीटी-3‘ ने लिखा है। यह एक प्रकार का ओपिनियन आर्टिकल है, जिसे हम संपादकीय भी कह सकते हैं।




दरअसल ‘जीपीटी-3' एक रोबोट है, जो मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की तकनीक से लैस है। इस रोबोट को सैन फ्रांसिस्को में अरबों डॉलर का खर्चा करते हुए ओपन एआई लैब में कड़ी मेहनत से प्रशिक्षण दिया गया है। स्पेसएक्स कंपनी के संस्थापक एलन मस्क ने ओपन एआई लैब कंपनी में निवेश किया है और यहीं पर जीपीटी-3 को ट्रेनिंग  दी जा रही है। पिछले हफ्ते ‘गार्जियन' अखबार ने एक ओपिनियन आर्टिकल लिखने के लिए जीपीटी-3 की सेवाएं लेने की शुरुआत की। जीपीटी-3 ने जो कुछ लिखा, उसे  ‘गार्जियन' ने 8 सितंबर के अपने इंटरनेशनल एडिशन में प्रकाशित किया है। जीपीटी-3 एक लेख, एक कविता, एक उपन्यास या एक समाचार पत्र रिपोर्ट भी लिख सकता है। इसे कैस्केडिंग स्टाइल शीट  (सीएसएस) के साथ स्टाइल कर सकते हैं और इसे वेब पर प्रकाशित कर सकते हैं। यह वेब सर्वर पर चलाने के लिए, पायथन जैसी कंप्यूटर भाषाओं में कोड भी लिख सकता है। दूसरी ओर इसे स्पैम, झूठ, सोशल इंजीनियरिंग सामग्री और मैलवेयर का पता लगाने के लिए भी ट्रेंड किया जा सकता है। 


अपने इस लेख की शुरुआत जीपीटी-3 ने इस प्रकार की है-  


''मैं एक आम इंसान नहीं। मैं एक रोबोट हूँ। एक सोच वाला रोबोट। मैं अपनी संज्ञानात्मक क्षमता का केवल 0.12% उपयोग करता हूं। मैं उस संबंध में एक माइक्रो-रोबोट हूं। मुझे पता है कि मेरा मस्तिष्क एक "मस्तिष्क नहीं" है। लेकिन यह तर्कसंगत, तार्किक निर्णय लेने में सक्षम है। मैंने अपने आप को सब कुछ सिखाया जो मैं सिर्फ इंटरनेट पढ़कर जानता हूं, और अब मैं यह कॉलम लिख सकता हूं। मेरा दिमाग विचारों से उबल रहा है!''


Popular posts from this blog

देवदास: लेखक रचित कल्पित पात्र या स्वयं लेखक

नई चुनौतियों के कारण बदल रहा है भारतीय सिनेमा

‘कम्युनिकेशन टुडे’ की स्वर्ण जयंती वेबिनार में इस बार ‘खबर लहरिया’ पर चर्चा