सोशल मीडिया पर बादशाहत क़ायम करने के लिए फर्जी लाइक्स और फाॅलोअर्स का गोरखधंधा

 


अभिनेता सुशांतसिंह राजपूत की मौत ने फिल्म उद्योग के अनेक काले पन्नों को हमारे सामने उजागर कर दिया है और अभी और न जाने कितने ऐसे स्याह पन्ने सामने आना बाकी हैं। गला काट स्पर्धा, पैसों का अंतहीन लालच और दूसरों से आगे निकलने की होड़ में हमारे फिल्म उद्योग के नामी-गिरामी सितारे किस हद तक नीचे गिर सकते हैं, यह पूरा देश देख और समझ रहा है। इसी दौरान एक ऐसे गिरोह का भी खुलासा हुआ है, जिसकी सहायता से फिल्म उद्योग के लोग सोशल मीडिया पर अपनी बादशाहत कायम करने के सपने संजो रहे हैं।


रिपोर्टों के अनुसार चर्चित रैप गायक बादशाह (मूल नाम- आदित्य प्रतीक सिंह सिसोदिया) ने स्वीकार किया है कि उसने सोशल मीडिया पर अपनी लोकप्रियता को साबित करने के लिए फर्जी तरीकों का इस्तेमाल किया। सोशल मीडिया पर फर्जी लाइक्स और फाॅलोअर्स बढ़ाने के इस गोरखधंधे में बादशाह ने 75 लाख रुपए की रकम भी खर्च की। इस खेल में बाॅलीवुड की 20 और बड़ी हस्तियों के नाम सामने आ रहे हैं। पुलिस की लिस्ट में फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े निर्माता, निर्देशक, कलाकारों के अलावा मेकअप आर्टिस्ट, कोरियोग्राफर, असिस्टेंट डायरेक्टर से लेकर कई राजनेताओं के नाम भी शामिल हैं।



दरअसल बाॅलीवुड में इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब रियलिटी शो ‘इंडियन आइडल‘ की प्रतिभागी भूमि त्रिवेदी ने इस बारे में शिकायत दर्ज करवाई गई थी। भूमि त्रिवेदी ने अपनी शिकायत में बताया कि कुछ संदिग्ध लोगों ने उनकी फर्जी इंस्टाग्राम प्रोफाइल बनाई और इसी तरह के ऑफर के साथ मनोरंजन उद्योग में अन्य हस्तियों से भी संपर्क कर रहे हैं। मुंबई पुलिस ने जांच में पाया कि कई सेलिब्रिटीज के लाखों की संख्या में फॉलोअर्स पीआर एजेंसियां ने वर्चुअल तरीके से तैयार किए हैं। मुंबई पुलिस ने एनालिटिकल टेक्नीकल -इंटेलीजेंस की जांच के लिए अभिषेक नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया है। इसी के बयान के बाद अब सेलेब्रिटीज को पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है। इस मामले में महाराष्ट्र के गृहमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि इस फर्जीवाड़े की महाराष्ट्र पुलिस जांच करेगी, क्योंकि इसका इस्तेमाल झूठ फैलाने और ट्रोलिंग के लिए भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसके अलावा, इस पूरे मामले का एक जज्बाती पहलू यह भी है कि फर्जी तरीके से लाइक हासिल करने वाले तमाम लोग अपने प्रशंसकों के साथ भी धोखाधड़ी करते हैं। ऐसे में उनके खिलाफ आईटी एक्ट-2000 की धारा 66-सी या धारा 66-डी के तहत कार्यवाही हो सकती है और उन्हें 3 साल तक की सजा भी हो सकती है।


इस घटना से एक तरफ बाॅलीवुड का एक और स्याह पक्ष सामने आता है, तो दूसरी तरफ सोशल मीडिया की ताकत को भी और शिद्दत के साथ अनुभव किया जा सकता है। हर कोई आज यही चाहता है कि सोशल मीडिया पर उसके फॉलोअर्स ज्यादा हो, लाइक ज्यादा मिलें, ज्यादा से ज्यादा लोग उसे सब्सक्राइब करें। स्वाभाविक सी बात है कि यह चाहत ग्लैमर की दुनिया के लोगों और राजनीतिक दलों में कुछ ज्यादा ही होती है। सोशल मीडिया पर लोकप्रिय बने रहने की इसी चाहत को पूरा करने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल होता है। कुछ तरीके कानूनी तौर पर सही होते हैं और जो लोग सीधे-सादे तरीके से लोकप्रियता हासिल नहीं कर पाते, वे अब चोर दरवाजे से लोकप्रियता के किले में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं। उनकी इसी कोशिश ने सोशल मीडिया पर फाॅलोअर्स और लाइक्स के फर्जीवाड़े को जन्म दिया है। कानून और नैतिकता को दरकिनार करते हुए ऐसी फर्जी कंपनियां बनाई जा रही हैं, जो अपने कस्टमर को लाइक्स, शेयर या फॉलोअर्स लाकर देती हैं।


वर्तमान दौर में ऐसी कई कंपनियां काम कर रही हैं जो नियमित तौर पर डिजिटल मार्केटिंग के माध्यम से फॉलोअर्स बढ़ाती हैं। आपके फॉलोअर्स और लाइक बढ़ाने के लिए ‘बोट्स‘ का इस्तेमाल किया जाता है। ‘बोट्स‘ दरअसल साइबर दुनिया का एक नया शब्द है, जो रोबोट से बना है। फॉलोअर्स और लाइक बढ़ाने का काम कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिये आॅटोमेटिक तरीके से होता है और इस काम में अनेक कंप्यूटर और सर्वर इस्तेमाल किए जाते हैं। डिजिटल मार्केटिंग में यह एथिकल तरीके से भी होता है, लेकिन ईमानदारी से किए गए काम के नतीजे कई बार देर से हासिल होते हैं और फिर यह भी जरूरी नहीं कि नतीजे आपकी मर्जी के मुताबिक मिलें। इसीलिए बहुत सारे लोग डिजिटल मार्केटिंग कंपनियों को पैसा देकर फॉलोअर्स और लाइक खरीदते हैं।


इनके चक्कर में दुनिया भर में क्लिक फार्म बन गए हैं, जो दिन भर बैठ कर माउस क्लिक करते रहते हैं। यूट्यूब के वीडियो के व्यू बढ़ाते हैं और फेसबुक के लाइक बढ़ाते हैं, शेयर करते रहते हैं। पिछले साल अमेरिकी समाचार एजेंसी एपी ने इस मसले पर गहरी रिसर्च की और खुलासा किया कि दुनियाभर में ऐसी अनेक कंपनियां हैं, जो अपने क्लाइंट के लिए नकली क्लिक खरीद रही हैं। इंटरनेट की आभासी दुनिया में ज्यादा क्लिक या बड़े नेटवर्क वाले लोगों को बेहतर मौके मिलने की संभावना रहती है। जब भी कभी क्लिक के साथ पैसे का मामला जुड़ा हो, तो लोग उस तरफ बढ़ जाते हैं।


यही वजह है कि कई कंपनियां अपनी टीम के साथ फर्जी क्लिक की खरीद बिक्री के धंधे में लगी हैं। इन पर लगाम कसने वाले जब भी एक तरीके को नाकाम करते हैं, कोई दूसरा तरीका उभर जाता है। यूट्यूब ने कई ऐसे वीडियो को हटा दिया है, जिन पर फर्जी तरीके से बहुत ज्यादा व्यू दिखाया गया था। फेसबुक की ताजा तिमाही रिपोर्ट में कहा गया है कि 1.18 अरब यूजर में से 1.41 करोड़ फर्जी हैं। जाहिर है कि हम सोशल मीडिया के नियमन और नियंत्रण के बारे में तो बहुत अधिक सोचते हैं, लेकिन सोशल मीडिया के जरिये होने वाली धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के बारे में हमने अभी ज्यादा कुछ नहीं सोचा है।


Popular posts from this blog

देवदास: लेखक रचित कल्पित पात्र या स्वयं लेखक

नई चुनौतियों के कारण बदल रहा है भारतीय सिनेमा

‘कम्युनिकेशन टुडे’ की स्वर्ण जयंती वेबिनार में इस बार ‘खबर लहरिया’ पर चर्चा