कोरोना की अचूक दवा शायद कभी नहीं मिले, बचाव के उपायों पर ही जोर
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी देते हुए कहा है कि कोरोना वायरस से बचाने वाली अचूक दवा शायद ही कभी मिल पाएगी। संगठन ने दुनिया के सभी देशों से अपील की है कि वे अपने यहां बचाव के उपायों पर ही पूरा फोकस करें। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कोरोना के खिलाफ भले ही प्रभावी टीका बनाने की होड़ हो लेकिन हो सकता है कि इसकी अचूक दवा कभी न मिल पाए। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने सभी देशों से स्वास्थ्य उपायों को तेज करने का आग्रह किया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि कोरोना वायरस के कारण बने हालात को सामान्य होने में लंबा वक्त लगेगा और शायद इसके इलाज की अचूक दवा कभी मिल ही न पाए। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने कहाए ष्कोरोना वायरस के कई टीके अब क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में हैं और हम उम्मीद कर रहे हैं कि लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए इनमें से कुछ प्रभावी होंगे। हालांकि फिलहाल कोई अचूक दवा नहीं है और हो सकता है कि ऐसा कभी हो भी नहीं।
गेब्रयेसुस ने जेनेवा स्थित मुख्यालय में एक वर्चुअल प्रेस ब्रीफिंग में कहाए ष्सरकारों और लोगों के लिए यह साफ संदेश है कि बचाव के लिए सब कुछ करेंए जैसे चेहरे पर मास्क लगाएंए शारीरिक दूरी का पालन करेंए हाथ धोएं और जांच कराएं।ष् उन्होंने इस महामारी से निपटने के लिए फेस मास्क को एकजुटता का प्रतीक बनाने की अपील की। दुनिया भर के लोग महामारी और लॉकडाउन से बाहर निकलने के लिए कोविड-9 के टीके पर उम्मीद लगाए बैठे हैं। ऐसे में संगठन ने कहा है कि उन उपायों पर जोर देना चाहिए जो कारगर साबित हो रहे हैं जैसे कि जांचए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, शारीरिक दूरी और फेस मास्क पहनना।
दुनिया भर में कोरोना वायरस के मामले एक करोड़ 82 लाख और 76 हजार को पार कर गए हैं। इनमें 1 करोड़ से अधिक लोग ठीक हो चुके हैं और वहीं इस बीमारी के कारण 6 लाख 90 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। भारत की बात की जाए तो वह संक्रमण के मामले में विश्व में तीसरे स्थान पर बना हुआ है। देश में कोरोना वायरस के कारण अब तक 38,938 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमण के मामलों में भारत के ऊपर ब्राजील और अमेरिका है। दुनिया भर में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 6,93,482 हो चुकी है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने माताओं को दिलासा देते हुए कहा कि जो माताएं कोरोना पॉजिटिव हो गईं हैं उन्हें अपने शिशुओं को स्तनपान कराना नहीं रोकना चाहिए। गेब्रयेसुस के मुताबिकए ष्डब्ल्यूएचओ यह सलाह देता है कि जो मां कोरोना संदिग्ध हैं या फिर पॉजिटिव पाईं गईं हैं उन्हें अन्य मांओं की तरह स्तनपान जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। नवजात शिशुओं और बच्चों के लिए स्तनपान के कई लाभ कोविड.19 के संक्रमण के संभावित जोखिमों से काफी हद तक दूर रखते हैं।
पिछले दिनों डब्ल्यूएचओ की आपात समिति की बैठक में गेब्रयेसुस ने कहा था कि कोविड-19 एक ऐसा स्वास्थ्य संकट है जो सदी में एक ही बार आता है और जिसके प्रभाव आने वाले कई तक दशकों तक महसूस किए जाते रहेंगे। डब्ल्यूएचओ की आपात समिति ने 30 जनवरी को कोविड-19 को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा घोषित किए जाने की सिफारिश की थी।