प्लाज़्मा थेरेपी की बढ़ती मांग के बीच प्लाज़्मा की ऊंची कीमत वसूलने की शिकायतें

नई दिली। पिछले दिनों कर्नाटक सरकार के स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री ने अपनी दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में घोषणा की कि प्लाज़्मा डोनर्स को पाँच हज़ार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसी दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने  अस्पतालों से कहा कि वो कोविड-19 से ठीक हो रहे मरीज़ों को प्लाज़्मा दान करने के लिए प्रोत्साहित करें। केजरीवाल ने ये भी कहा कि प्लाज़्मा की मांग पिछले दिनों तेज़ी से बढ़ रही है। इधर मीडिया में इस तरह की रिपोर्टें आ रही हैं कि प्लाज़्मा थेरेपी की बढ़ती मांग को देखते हुए  प्लाज़्मा की  ऊंची कीमत भी वसूली जा रही है। 



प्लाज़्मा थेरेपी में किसी वैसे ही व्यक्ति के ख़ून के इस हिस्से को बीमार के शरीर में चढ़ाने के लिया जा सकता है जो कोविड -19 से पीड़ित होने के बाद ठीक हो गया हो।  इलाज के इस तरीक़े को 'कन्वैलेसेंट प्लाज़्मा थेरेपी' कहते हैं। ये थेरेपी इस धारणा पर आधारित है कि संक्रमण से ठीक हुए मरीज़ के ख़ून से लिए गए प्लाज़्मा से किसी दूसरे बीमार के रक्त में मौजूद वायरस को ख़त्म किया जा सकता है। कोविड-19 के पहले इसका इस्तेमाल सार्स, मर्स और एच1एन1 जैसी महामारियों में भी किया गया था। 


अभी तक कोविड-19 के इलाज में जो चार-पांच चीज़ें बेहतर रिज़ल्ट्स दे रही हैं उनमें प्लाज़्मा थेरापी एक है। तो इसको लेकर मांग बढ़ना भी स्वभाविक है। हाल के दिनों में प्लाज़्मा के इलाज से संबंधित रेमडेसीवर जैसी दवाइयों के तीन-चार गुने दामों में बेचने की ख़बरें आती रही हैं। प्राइवेट अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज के लिए भारी दामों की वसूली की ख़बरों के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसको लेकर रेट-लिस्ट जारी की लेकिन कहा जा रहा  है कि वो पूरी तरह से रुक नहीं पाया है। 


राष्ट्रीय ब्लड पॉलिसी के मुताबिक़ ड्रग एंड कास्मेटिक्स एक्ट, 1940, के भीतर ख़ून को दवा की श्रेणी में रखा गया है और इसकी अवैध खरीद बिक्री की सज़ा में दो साल तक की जेल हो सकती है। हमेशा की तरह क़िल्लत की क़ीमत ज़रूरतमंदों से वसूली जा रही है, एक यूनिट (525 एमएल) प्लाज़्मा के लिए पच्चीस से तीस हज़ार रूपयों तक की मांग हो रही है। कई जगहों पर इस लेन-देन के लिए डार्क-वेब का सहारा लिए जाने की भी चर्चा है। 


कुछ अख़बारों ने डोनर को पैसों के अलावा, दूसरे शहर से आने-जाने का इंतज़ाम किए जाने तक की बात भी लिखी है। इन सबके बावजूद सब कुछ काफी मुश्किल है। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने पिछले दिनों जनता को आगाह किया कि कुछ लोग प्लाज़्मा के नाम पर धोखाधड़ी कर रहे हैं और कई लोगों से इसके लिए ऊंची कीमत वसूली गई है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्लाज़्मा थेरेपी कोविड-19 का इलाज नहीं है लेकिन मरीजों की हालत में इसकी वजह से सुधार देखा गया है इसलिए इसकी मांग बहुत है।


 


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