सोशल मीडिया पर आने वाली जानकारियों की पहचान करने के लिए सरकार ने कसा शिकंजा

नई दिल्ली। ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (बीईसीआईएल) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आने वाली सूचनाओं की पुष्टि और गलत जानकारियों की पहचान करने के काम के लिए एक टेंडर जारी किया है।  बीईसीआईएल एक सार्वजनिक उपक्रम है जो सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत आता है।  जारी किए गए टेंडर में उसने इस काम के लिए एजेंसियों का एक पैनल बनाने की बात कही है।  उसका कहना है कि संबंधित एजेंसियों के काम में गलत जानकारियां देने वाले अहम ‘इन्फ्लूएंसर्स’ की पहचान करना और उनकी लोकेशन बताना शामिल होगा।



इस कदम को लेकर साइबर लॉ विशेषज्ञ चिंता जता रहे हैं।  उनका मानना है कि इससे सरकार के लिए अवैध रूप से निगरानी करने का रास्ता खुल जाएगा। उनका यह भी कहना है कि इसे सरकार अपने आलोचकों को चुप करने के जरिये की तरह भी इस्तेमाल कर सकती है। द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में टेकलेगिस एडवोकेट्स एंड सॉलिसिटर्स नाम की एक कंपनी के संस्थापक सलमान वारिस कहते हैं, ‘अगर हमें ही पता नहीं है कि फेक न्यूज क्या है तो टेंडर पाने वाले कैसे फर्क करेंगे कि क्या फेक है और क्या असली? तो वास्तव में क्या है जिसकी पहचान होनी है और जांच की जानी है?’ 


अखबार के मुताबिक उसने बीईसीआईएल से इस बारे में बात करने की कोशिश की थी, लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला. कंपनी से जो कई सवाल पूछे गए थे उनमें एक यह भी था कि क्या उसने फेक न्यूज या गलत जानकारी की कोई परिभाषा तय कर ली है।


बीते अप्रैल में पहले केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कहा था कि वह सोशल मीडिया के नियमन से जुड़े दिशा-निर्देशों पर एक विधेयक का मसौदा तैयार कर रहा है। मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना था कि मीडिया के पारंपरिक माध्यमों पर आने वाली खबरों के तथ्यों की पड़ताल प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) पहले से ही कर रहा है और सोशल मीडिया एक अलग चीज है।


 


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