कोरोना वायरस के टीके के लिए ऑनलाइन वैश्विक शिखर सम्मेलन
नई दिल्ली। दुनिया की नजरें इस वक्त कोरोना से निपटने के लिए हो रहे शोधों पर टिकी हुईं हैं। कई देशों में टीके पर शोध हो रहा है लेकिन अब तक कामयाबी नहीं मिल पाई है। इस बीच ब्रिटेन सरकार की अगुवाई में एक वर्चुअल सम्मेलन का आयोजन हुआ।
ब्रिटेन सरकार की अगुवाई में वैश्विक वैक्सीन शिखर सम्मेलन में दुनिया के कई देशों के नेताओं समेत उद्योग जगत के दिग्गजों के साथ-साथ स्वास्थ्य एजेंसियों ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन का मकसद अंतरराष्ट्रीय टीका गठबंधन (गावी) के लिए धन इकट्ठा करना था। गुरुवार को हुए सम्मेलन के जरिए 8.8 अरब डॉलर इकट्ठा किए गए जो कि लक्ष्य से कहीं अधिक है। दरअसल, विशेषज्ञ इस कठिन सवाल से जूझ रहे हैं कि अगर निकट भविष्य में कोई टीका कोरोना वायरस के लिए तैयार हो जाता है तो वह विश्व स्तर पर निष्पक्ष रूप से कैसे वितरित किया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस, रेड क्रिसेंट मूवमेंट ने कोविड-19 के लिए "जनता का टीका" बनाने का आग्रह किया है जो सभी के लिए निशुल्क उपलब्ध हो और जो कि ''नैतिक अनिवार्यता'' भी है।
अंतरराष्ट्रीय टीका गठबंधन (गावी) का कहना है कि शिखर सम्मेलन के जरिए इकट्ठा हुए धन का इस्तेमाल दर्जनों देशों के करीब 30 करोड़ बच्चों में टीकाकरण के लिए किया जाएगा। इस रकम का इस्तेमाल मलेरिया, निमोनिया और एचपीवी जैसी बीमारियों के टीके के लिए किया जाएगा। इसी के साथ गावी ने अग्रिम बाजार प्रतिबद्धता तंत्र की घोषणा की, जिससे कोविड-19 का टीका तैयार होने पर विकासशील देशों को उपलब्ध हो सके। गावी को उम्मीद है कि वह इस प्रयास के लिए अतिरिक्त 2 अरब डॉलर जुटा पाएगा। लेकिन विशेषज्ञों ने इस ओर ध्यान दिलाया है कि असामान्य महामारी में यकीनन सब देश टीके के लिए मोहताज होंगे। उनकी राय में उचित वितरण में बेहद गड़बड़ी हो सकती है।
कोराना काल के शुरुआत में भी देखने को मिला था कि कैसे देशों में मास्क और वेंटिलेटर के लिए होड़ मच गई थी। फ्रांस ने तो देश में मास्क के स्टॉक को कब्जे में लिया था ताकि उन्हें दिया जा सके जो पहले मांग करते हैं। अमेरिका ने तो वेंटिलेटर सप्लाई करने वाली कंपनियों को अपने देश में सप्लाई करने के लिए रकम तक दी थी। यह उदाहरण उत्साहजनक संकेत नहीं देते हैं क्योंकि अगर भविष्य में कोरोनो वायरस की वैक्सीन मिलती है तो क्या वैश्विक स्तर पर सहयोग हो पाएगा? लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रोफेसर जिम्मी व्हिटवर्थ कहते हैं, ''अमीर देशों में सबसे अधिक संभावना है कि वे कतार में सबसे आगे जा सकते हैं, गरीब देश पीछे छूट जाएंगे और यह एक समस्या है। मैं यह कल्पना भी नहीं कर सकता कि कोई देश यह कहेगा कि अफ्रीका को टीके की सबसे अधिक जरूरत है और उन्हें पहले टीका मिलना चाहिए और हम जोखिम के साथ रह लेंगे। ''
अन्य देशों के अलावा भारत ने भी गावी को आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्चुअल सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि गावी को भारत का समर्थन सिर्फ वित्तीय नहीं है। उन्होंने कहा भारत की भारी मांग टीकों की वैश्विक कीमत को कम करती है। मोदी ने कहा, "आज इस चुनौतीपूर्ण समय में भारत दुनिया के साथ एकजुट होकर खड़ा है।" मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की शिक्षा देती है और महामारी के दौरान भारत ने इस शिक्षा को जीने की कोशिश की थी। भारत ने देश में उपलब्ध दवाओं के स्टॉक को 120 से ज्यादा देशों के साथ साझा करके, अपने पड़ोसी देश में एक समान प्रतिक्रिया की रणनीति अपनाकर और सहायता मांगने वाले देशों की मदद करके इस दिशा में ही काम किया।" साथ ही भारत ने गावी को डेढ़ करोड़ अमेरिकी डॉलर देने का ऐलान किया है।
इस सम्मेलन में बिल गेट्स ने कहा कि कोरोना वायरस का टीका मिल जाने के बाद इसके उत्पादन के लिए दुनियाभर में फैक्ट्रियां लगाई जानी चाहिए। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने उम्मीद जताई कि इस तरह की बैठक से पता चलता है कि दुनिया महामारी के खिलाफ लड़ाई में मानवता को एकजुट करने के लिए साथ है।