विज्ञापन आय में लगातार गिरावट से मीडिया इंडस्ट्री गहरे संकट में


नई  दिल्ली। कोविड-19 के कारण प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की विज्ञापन आय में लगातार गिरावट से मीडिया इंडस्ट्री गहरे संकट में फंस गई है और सरकार ने अगर तत्काल सुधर के उपाय लागू नहीं किये तो इस उद्योग का फिर से उठ खड़ा होना बहुत मुश्किल हो जाएगा। उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएसडीसीसीआई) की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। 



केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को रिपोर्ट सौंपते हुए पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पदाधिकारी। 


रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस महामारी का मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र पर भारी असर हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महामारी के कारण प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, आउटडोर मीडिया और ईवेंट आदि क्षेत्रों की आय में बड़ी गिरावट आयी है। संगठन ने  एक बयान में कहा, ‘‘मीडिया कोविड-19 महामारी के कारण सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक रहा है। प्रिंट मीडिया की प्रसार संख्या में काफी हद तक कमी दर्ज की गयी है और इसकी विज्ञापन आय में भारी नुकसान हुआ है। विज्ञापन राजस्व में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को भी भारी नुकसान हुआ और लॉकडाउन के कारण सड़कों पर यातायात नहीं होने के कारण आउटडोर मीडिया के सभी ऑर्डर रद्द हो गये। इस अवधि में किसी प्रकार के ईवेंट की अनुमति नहीं होने के कारण ईवेंट बिजनेस भी ठप हो गया है।’’


पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष डी.के. अग्रवाल और अन्य अधिकारियों ने संगठन की रिपोर्ट “आउटलुक ऑफ मीडिया एंड एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री इन दी कोविड सिनारियो’’ केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को सौंपी।  चैंबर ने सरकार से आग्रह किया कि वे इस रिपोर्ट में दी गई सिफारिशों के आधार पर तत्काल सुधार उपायों को लागू करें। रिपोर्ट में बताया गया है कि पर कोविड-19 का मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग के ऊपर प्रमुख प्रभावों में से एक अस्थिरता है और सभी मीडिया क्षेत्रों में विज्ञापन राजस्व में गिरावट आयी है। डॉ.अग्रवाल ने कहा कि रेडियो, टीवी, प्रिंट, आउटडोर मीडिया की विज्ञापन आय में काफी गिरावट दर्ज की गयी है।अग्रवाल ने कहा कि विज्ञापन आय में आ रही लगातार गिरावट मीडिया इंडस्ट्री के लिये जोखिम पैदा कर रही है क्योंकि मीडिया के लिये आय का एक प्रमुख स्रोत विज्ञापन है।संगठन ने सरकार से इस वित्त वर्ष में अपने वार्षिक विज्ञापन बजट का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने की दिशा में सचेत प्रयास करने का आग्रह किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक उपक्रमों, कॉरपोरेट्स और उद्योग हितधारकों को भी प्रभावी विज्ञापन अभियान के माध्यम से अपने उपभोक्ताओं से जुड़ना चाहिये।


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