प्रवासी मजदूरों को खाना-सुविधाएं मुहैया कराए सरकार, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
नई दिल्ली। कोरोना के चलते देश में लगे लॉकडाउन में बेहाल प्रवासी मजदूरों की परेशानियों को लेकर आखिरकार सुप्रीम कोर्ट को ही दखल करना पड़ा। इस मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने मजदूरों को तुरंत बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने का आदेश दिया। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कहीं न कहीं मजदूरों के मामले में चूक हुई है।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें दीं। उन्होंने कहा कि, कुछ घटनाएं हुई हैं जिन्हें बार-बार दिखाया जा रहा है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार इस पर काम कर रही है। वहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा,‘इसमें कोई शक नहीं है कि केंद्र सरकार काम कर रही है, लेकिन राज्यों से लोगों को ज्यादा लाभ नहीं मिल रहा है।’ इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि,जो मजदूर पैदल चल रहे हैं उन्हें तुरंत खाना और रहने के लिए उचित जगह मुहैया कराई जानी चाहिए। साथ ही उन्हें सारी बुनियादी सुविधाएं मिलनी चाहिए। इसके अलावा इन मजदूरों से बसों और ट्रेन का कोई किराया नहीं लिया जाना चाहिए। केंद्र सरकार राज्य सरकारों को भी ये जानकारी दे।
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले को लेकर 5 जून को अगली सुनवाई करेगा। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र को नोटिस जारी कर बुनियादी सुविधाओं को लेकर जवाब मांगा है।तुषार मेहता ने कहा, अब तक 91 लाख प्रवासियों को स्थानांतरित किया गया है। इसमें 80 प्रतिशत यूपी और बिहार से हैं।लॉकडाउन की वजह से देश के अलग-अलग राज्यों में प्रवासी मजदूर फंस गए, ना तो उनके पास काम रहा और ना ही खाने के पैसे, मजबूर होकर सैकड़ों मजदूर पैदल और साइकिल से ही हजारों किलोमीटर के सफर पर निकल पड़े। बाद में खुद सरकार को आगे आकर मजदूरों के लिए श्रमिक ट्रेन शुरू करनी पड़ी।लेकिन लाखों की संख्या में मौजूद मजदूरों के लिए ये इंतजाम भी नाकाफी है, कई मजदूरों की भूख से जान चली गई तो कोई पैदल लंबा सफर तय करते हुए रास्ते में ही अपनी जिंदगी खो बैठा।