मीडिया के ख़िलाफ़ आपराधिक कानूनों के गलत इस्तेमाल पर एडिटर्स गिल्ड ने जताया एतराज़

नई दिल्ली।   एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा है कि देश में कई जगहों पर ‘पत्रकारों को डराने धमकाने के लिए आपराधिक कानूनों के गलत इस्तेमाल का पैटर्न लगातार बढ़ता जा रहा है’ जो कि ठीक नहीं है। बुधवार को जारी एक बयान में गिल्ड ने गुजरात के न्यूज पोर्टल फेस ऑफ नेशन के संपादक धवल पटेल को राजद्रोह के तहत 11 मई को हिरासत में लिए जाने को और द इंडियन एक्सप्रेस के विशेष संवाददाता महेंद्र सिंह मनराल को दिल्ली पुलिस द्वारा 10 मई को भेजे गए नोटिस का जिक्र किया गया है।गिल्ड ने अपने बयान में कहा, ‘सरकार और पुलिस को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी लोकतंत्र के शासकीय ढांचे का मीडिया एक अभिन्न अंग है।' गिल्ड ने इन कदमों की निंदा की और राज्य और केंद्र सरकारों को कहा कि प्रेस को डराने के लिए कानून का गलत इस्तेमाल न करें।



न्यूज पोर्टल फेस ऑफ नेशन के संपादक धवल पटेल। साभार - द प्रिंट 


द प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार पटेल को एक रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए हिरासत में लिया गया था, जिसमें बढ़ते कोरोनावायरस मामलों की आलोचना के कारण गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना की बात कही गयी थी। उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 ए के तहत राजद्रोह, और झूठी दहशत फैलाने (आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54) के तहत आरोप लगाए गए थे। गिल्ड ने कहा, ‘यह राजद्रोह और आईपीसी के अलावा विशेष कानूनों का दुरुपयोग है।'


गिल्ड ने मनराल के खिलाफ दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को अहंकार भरा बताया। दिल्ली पुलिस ने मनराल को सिटी संपादक और द इंडियन एक्सप्रेस के मुख्य रिपोर्टर के माध्यम से नोटिस भेजा था, जिसमें रिपोर्टर को पुलिस जांच में सहयोग के लिए कहा गया है जिसने मौलाना साद के ऑडियो क्लिप पर रिपोर्ट की थी, जिसे डॉक्टर्ड बताया गया है।


गिल्ड ने कहा, ‘मनराल को किसी भी कानून के तहत आरोपित नहीं किया गया था, उन्हें धमकी दी गई थी कि जांच में शामिल होने में विफलता के कारण आईपीसी की धारा 174 के तहत जेल की सजा और जुर्माने की कानूनी कार्रवाई हो सकती है। ये ऐसा लगता है कि पत्रकार के स्रोत को निकालने के लिए और अन्य रिपोर्टरों को चेतावनी देने के लिए किया जा रहा हो।’


 


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