विश्व सर्कस दिवस पर खाली पंडाल में कलाकारों ने किया सर्कस का अनूठा शो



मुंबई। कहते हैं कि शो मस्ट गो ऑन ! यानी शो हर हाल में जारी रहना चाहिए। सिनेमा और सर्कस की दुनिया अब तक इसी आधार पर चलती आई है- कितनी भी बड़ी मुसीबत आ जाये, शो हर हाल में जारी रहेगा! लेकिन कोरोना वायरस ने इस नियम की भी धज्जियाँ उड़ा दी हैं। पिछले कई दिनों से दुनियाभर में सिनेमाघर सूने पड़े हैं  और सर्कस के पंडालों में भी गहरा सन्नाटा पसरा है। इस बीच 18 अप्रैल को विश्व सर्कस दिवस का मौक़ा आया और मुंबई में रैम्बो सर्कस के कलाकारों ने इस दिवस को यादगार बनाने के लिए खाली पंडाल में ही शो करने का फैसला किया। दरअसल वे पूरी दुनिया को अपने तरफ से एक अनूठा तोहफ़ा देना  चाहते थे और इसमें वे कामयाब भी रहे। 



शो की शुरुआत हमेशा की तरह दो जोकरों ने की।  सभागृह के बीचों-बीच जोकर की पोशाक पहने दो लोग खड़े थे।  उनकी भँवें तनकर आसमान की ओर उठी हुई थीं। प्लास्टिक की एक लाल नाक उनके चेहरे पर चिपकी थी। वो अपना कार्यक्रम शुरू करने की तैयारी में थे। 50 साल के बीजू पुष्करन ने पोलका प्रिंट का ढीला ढाला लाबादा पहना हुआ था। उनके चेहरे पर सफेद पाउडर और गाल पर सिंदूरी रंग और लिपस्टिक चढ़ी हुई थी।मेकअप का यह गुर उन्होंने तभी सीख लिया था जब उन्होंने जोकर बनने का फ़ैसला किया था। वो मंच पर एक दूसरे जोकर के साथ पहुँचे, जो शायद उनका शागिर्द था।


6 मार्च के बाद से वो कोई शो नहीं कर पाए थे। लेकिन 16 अप्रैल की रात रैम्बो सर्कस के ये जोकर दूसरे कलाकारों के साथ नवी मुंबई के ऐरोली इलाक़े में शो कर रहे थे। लेकिन वहां वाहवाही करने और तालियां बजाने के लिए कोई दर्शक नहीं था, फिर भी उन्होंने अपना शो जारी रखा। दरअसल वे 18 अप्रैल को विश्व सर्कस दिवस पर इस कार्यक्रम के वीडियो को स्ट्रीम करना चाहते थे। वे पूरी दुनिया को यह भेंट देना चाहते थे। जोकरों, कलाबाज़ों, तनी हुई रस्सी पर चलने वाले करतबगारों या कहें कि सर्कस की पूरी दुनिया की ओर से।


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