मीडिया के विज्ञापनों पर दो साल तक रोक लगाने के सोनिया के सुझाव पर आपत्ति

 


जयपुर। केंद्र सरकार की तरफ से मीडिया को दिए जा रहे विज्ञापनों पर दो साल तक रोक लगाने के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सुझाव पर न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने आपत्ति जताई है। एसोसिएशन ने कहा है कि इस सुझाव को मानने से मीडिया उद्योग की हालत बुरी तरह खराब हो जाएगी। 



इस बारे में ‘एनबीए’ के वाइस प्रेसीडेंट  और ‘इंडिया टीवी’ के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा ने कहा कि सरकार एवं सरकारी उपक्रमों द्वारा मीडिया विज्ञापनों पर दो साल के लिए प्रतिबंध लगाने का सुझाव न केवल मीडिया को बीमार करने वाला है, बल्कि यह पूरी तरह से मनमाना है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो आर्थिक मंदी की वजह से पहले ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के एडवर्टाइजिंग रेवेन्यू में काफी गिरावट आई है, दूसरी तरफ लॉकडाउन में सभी इंडस्ट्री और बिजनेस बंद होने के कारण भी यह आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। इसके अलावा न्यूज चैनल्स अपने रिपोर्टर्स और प्रॉडक्शन स्टाफ की सुरक्षा पर काफी ज्यादा खर्च कर रहे हैं।


उन्होंने कहा, "ऐसे समय में जब मीडियाकर्मी अपनी जान की परवाह न करते हुए महामारी के बीच न्यूज कवर कर अपनी राष्ट्रीय ड्यूटी निभा रहे हैं, कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से इस तरह का बयान काफी हतोत्साहित करने वाला है।"


रजत शर्मा की ओर से यह भी कहा गया है, ‘स्वस्थ और फ्री मीडिया के हित में ‘एनबीए’ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से प्रधानमंत्री को सरकार द्वारा मीडिया को दिए जाने वाले एडवर्टाइजमेंट पर दो साल के लिए रोक लगाने के सुझाव को वापस लेने की मांग करता है।’


गौरतलब है कि पीएम मोदी को दिए अपने पत्र में सोनिया गांधी ने सरकार और सरकारी उपक्रमों की तरफ से मीडिया में दिए जा रहे विज्ञापनों (टेलीविजन, प्रिंट और ऑनलाइन) पर दो साल के लिए रोक लगाकर यह पैसा कोरोनावायरस से पैदा हुए संकट से निपटने में लगाने को कहा है।


 


 


 


 


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