इरफान हमारे बीच हैं, और हमेशा रहेंगे!

कहते हैं कि मौत को सिर्फ एक बहाना चाहिए। चार दिन पहले इरफान खान की अम्मी ने जयपुर में आंखें मूंदी, तब इरफान मुंबई में थे। यह बात शनिवार की है, और बुधवार सवेरे इरफान खान ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। अम्मी के इंतकाल पर वे जयपुर तो नहीं आ पाए, लेकिन चंद दिनों बाद ही वे अपनी अम्मी से मिलने चल दिए। कौन जाने कि इरफान के यूं अचानक ही चले जाने के पीछे उनकी अम्मी की मौत का गम छिपा था या नहीं। लेकिन इरफान को करीब से जानने वाले लोग इस बात की ताकीद करेंगे कि वे रिश्तों को बहुत अहमियत देते थे। अम्मी का गुजर जाना और फिर उनके आखिरी दीदार भी नहीं कर पाना- किसी भी जज्बाती इंसान को भीतर से तोड़ने के लिए काफी है।



देश और दुनिया में  बेइंतिहा नाम कमाने के बाद भी इरफान जमीन से जुड़े आदमी थे। रिश्तों-नातों को वे संभालकर रखते थे। गुलाबी नगरी की जिस आबो-हवा ने उन्हें सींचा, जिस जयपुर ने उन्हें संघर्ष का माद्दा दिया, उस जयपुर की धरती को वे हमेशा अपने दिल से लगाकर रखते रहे। जयपुर से निकलकर पहले एनएसडी और फिर मायानगरी मुंबई में अपनी एक अलहदा पहचान बनाने के बाद हाॅलीवुड की फिल्मों के जरिये इरफान एक अंतरराष्ट्रीय हस्ती बन चुके थे। लेकिन जब कभी वे जयपुर आते, तो पुराने यार-दोस्तों से ठीक उसी तरह गलबहियां करते, जैसे दुनिया में नाम कमाने से पहले करते थे। करीब पच्चीस साल पहले जब पहली मर्तबा इरफान से मिलने का मौका मिला था, तो उस वक्त तक हालांकि वे इंटरनेशनल सेलिब्रिटी नहीं बने थे, लेकिन मंुबई की फिल्म नगरी में तो उनका अच्छा-खास रुतबा जम चुका था। फिर भी एकदम बेतकल्लुफ और याराना अंदाज में उन्होंने लपककर स्वागत किया था। उन्होंने कहीं से यह अहसास नहीं होने दिया कि एक बड़ा सितारा आपके रूबरू है। बाद में भी जब-जब उनसे मुलाकात हुई, तो यही लगा कि दुनिया के मुख्तलिफ मुल्कों में घूम चुके इस शख्स के दिल के किसी कोने में जयपुर हमेशा के लिए रचा-बसा है। अपनी धरती, अपनी माटी से यही जुड़ाव शायद उन्हें वो मजबूती देता था, जिसके लिए इरफान पहचाने जाते थे। जाती तौर पर भी और प्रोफेशनल तौर पर भी।



करीब दो साल पहले जब उनकी बीमारी की खबर सामने आई थी, तब भी उन्होंने इसी मजबूती का परिचय दिया था। खुद इरफान ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये अपनी बीमारी की खबर लोगांे को दी थी। उन्होंने खुद बताया था कि वे न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से पीड़ित हैं। हालांकि इसका पता लगते ही वे इलाज के लिए लंदन रवाना हो गए थे। लंबे इलाज के बाद जब वे ठीक होने लगे, तो उन्होंने निर्देशक होमी अदजानिया की फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम‘ में काम किया। इस फिल्म के रिलीज के ठीक पहले उन्होंने अपने प्रशंसकों के नाम एक जज्बाती संदेश साझा किया, जिसकी शुरुआत में ही उन्होंने कहा-‘‘मैं आज आपके साथ हूं भी और नहीं भी........!‘‘ (पूरा संदेश यहां क्लिक करेंःhttps://www.youtube.com/watch?v=NPXZVo-_qpM


आज जबकि इरफान हमारे बीच नहीं हैं, तो इस संदेश के मायने और गहरे हो जाते हैं। इरफान हमारे बीच हैं, और हमेशा रहेंगे!


 


 


 


Popular posts from this blog

देवदास: लेखक रचित कल्पित पात्र या स्वयं लेखक

नई चुनौतियों के कारण बदल रहा है भारतीय सिनेमा

‘कम्युनिकेशन टुडे’ की स्वर्ण जयंती वेबिनार में इस बार ‘खबर लहरिया’ पर चर्चा