प्रिंट मीडिया को हर साल दिए जाने वाले विज्ञापनों की संख्या में कमी

नई दिल्ली। ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन (बीओसी) द्वारा प्रिंट मीडिया को हर साल दिए जाने वाले विज्ञापनों की संख्या में कमी आई है। नरेंद्र मोदी सरकार के वित्त वर्ष 2014-15 और 2018-19 के बीच यह 10.95 करोड़ वर्ग सेमी रहा, जबकि मनमोहन सरकार में वित्त वर्ष 2009-10 और 2013-14 के बीच 11.88 करोड़ वर्ग सेमी था। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस बारे में सूचना प्रसारण मंत्रालय से सवाल किया था।  इस सवाल के जवाब में उन्हें यह जानकारी दी गई है। 



मोदी सरकार ने 2014 से लेकर 2019 तक विज्ञापनों पर कितना खर्चा किया, यह सवाल भी सांसद मनीष तिवारी ने सूचना प्रसारण मंत्रालय से किया था, जिसका उन्हें कोई सीधा जवाब नहीं मिला। हालांकि ये बात जरूर सामने आई है कि भारत सरकार विदेशों में विज्ञापन पर कोई खर्चा नहीं करती है। मनीष तिवारी ने सरकार से जानना चाहा था कि 26 मई 2014 से लेकर 30 सितंबर 2019 तक सरकार ने प्रिंट, ब्रॉडकास्ट और सोशल मीडिया के साथ ही विदेशी मीडिया में विज्ञापनों पर सालाना कितना खर्च किया। साथ ही उन्होंने यह भी पूछा था कि देश की टॉप 20 मीडिया कंपनियों के राजस्व में सरकारी विज्ञापनों की हिस्सेदारी कितनी है? इस संबंध में सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अपने जवाब में कहा कि 'ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन (बीओसी) द्वारा नोटिस, निविदाएं, नीलामी, भर्ती आदि के साथ ही जागरूकता अभियान और सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी देने वाले विज्ञापन जारी किये जाते हैं। जहां तक कुल खर्चे की बात है तो यह बीओसी की वेबसाइट पर उपलब्ध है।'


जावड़ेकर के जवाब में सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि प्रिंट मीडिया में विज्ञापनों का प्रति वर्ग सेमी रेट 42.31 रुपए से बढ़कर 62.13 रुपए हो गया है। भारतीय मीडिया कंपनियों के राजस्व प्रवाह में हिस्सेदारी के मनीष तिवारी के सवाल के जवाब में जावडेकर ने कहा कि भारत सरकार इस संबंध में कोई विवरण नहीं रखती। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा विदेशी समाचार पत्रों और टीवी चैनलों के लिए विज्ञापन जारी नहीं किये जाते हैं।


 


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