मीडिया के लिए ऑस्कर विजेता फिल्म स्पॉटलाइट का विशेष शो

जयपुर। 17 से 21 जनवरी को जयपुर शहर में फिल्मों का महा उत्सव सजने जा रहा है। पांच दिवसीय जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 69 देशों से आई 240 फिल्मों का सिलसिलेवार प्रदर्शन होगा। वहीं, फेस्टिवल में कुछ नॉन कॉमर्शिल शो रखे गए हैं, जो जिफ 2020 को और ख़ास बनाते हैं। जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ट्रस्ट और आर्यन रोज़ फाउण्डेशन की ओर से आयोजित जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल [ जिफ] का आगाज़ इस वर्ष 17 से 21 जनवरी को आयनॉक्स सिनेमा हॉल, जी.टी. सेन्ट्रल में होने जा रहा है।



ख़ास मीडिया के लिए दिखाई जाएगी ऑस्कर अवॉर्ड विनर फिल्म स्पॉटलाइट - स्पॉटलाइट एक बायोग्राफिकल ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन टॉम मैकेर्थी ने किया है। 2015 में बनी यह फिल्म अमेरिका के सबसे पुराने अख़बार की खोजी पत्रकारिता के बारे में है। फिल्म बोस्टन ग्लोब की स्पॉट लाइट टीम पर आधारित है, जिन्होने बोस्टन में फैल रहे चाइल्ड सैक्स अब्यूज़ की घटनाओं की पड़ताल की। उल्लेखनीय है कि स्पॉट लाइट टीम को इन न्यूज़ स्टोरीज़ के लिए पब्लिक सर्विस के लिए पुलित्जर प्राइज 2003 दिया गया। फिल्म बेस्ट पिक्चर के लिए ऑस्कर अवॉर्ड हासिल कर चुकी है।


विशेष रूप से मीडियाकर्मियों और पत्रकारों के लिए हरिदेव  जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय की ओर से यह स्पेशल नॉन कॉमर्शिल स्क्रीनिंग रखी गई है। फिल्म का प्रदर्शन रविवार 19 जनवरी को 12 बजे, आइनॉक्स [जी.टी. सेंट्रल] में  में होगा।


फेस्टिवल में फिल्म प्रेमियों के लिए कुछ स्पेशल शोज़ रखे गए हैं। इनमें वी. शांताराम की साम्प्रदायिक एकता पर आधारित फिल्म पड़ौसी का प्रदर्शन ख़ास होगा। वी. शांताराम के फैन्स के लिए यह फिल्म 20 जनवरी को शाम 6 बजे आइनॉक्स [जी. टी. सेन्ट्रल]  में दिखाई जाएगी। वी शांताराम की बहुचर्चित फिल्म पड़ौसी [1941] सामाजिक मुद्दों को छूती हुई फिल्म है। इस सोशल ड्रामा फिल्म को ख़ास और आज के वक्त में प्रासंगिक बनाता है इसका विषय, जो हिन्दू – मुस्लिम एकता की बात करता है। मुस्लिम लीग के बनने पर देश में जो साम्प्रदायिक तनाव के हालात पैदा हुए थे, फिल्म उसी पर केन्द्रित है। वी. शान्ताराम ने हिन्दू - मुस्लिम एकता और भाईचारे को दिखाती इस फिल्म के ज़रिए लोगों को प्रेम का संदेश देने का प्रयास किया। फिल्म अपने महत्वपूर्ण विषय के चलते दर्शकों और आलोचकों को बहुत रास आई थी।


फिल्म में मज़हर ख़ान, गजानन जागीरदार, अनीस ख़ातून, राधा किशन, लाजवन्ती, सुमित्रा, गोपाल और बालक राम ने अभिनय किया था। यह देखना भी ख़ास है फिल्म में मज़हर ख़ान ने हिन्दू किरदार निभाया, वहीं गजानन जागीरदार ने मुस्लिम पात्र निभाया।


फिल्म एक गांव की कहानी पर आधारित है, जहां अलग – अलग समुदायों के लोग एक साथ रहते हैं। गांव में पण्डित और मिर्जा हैं, जो एक दूसरे के अच्छे दोस्त हैं। गांव में बांध बनवाने आया एक उद्योगपति ओंकार इन लोगों में फूट डलवाने की कोशिश करता है। कई घटनाएं होती हैं, आख़िरकार बांध टूट जाता है। दोनों पुराने मित्र साथ आते हैं और अपनी जान बचाने की कोशिश में मारे जाते हैं। फिल्म में एक किरदार के ज़रिए दिखाया गया है किस तरह ब्रिटिश शासकों ने फूट डालो और राज करो की नीती अपनाते हुए साम्प्रदायिक तनाव को जन्म दिया।


 


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