डॉ.रक्षंदा जलील को वाणी फ़ाउण्डेशन विशिष्ट अनुवादक पुरस्कार

जयपुर।  प्रसिद्ध साहित्यिक इतिहासकार डॉ.रक्षंदा जलील को 5 वें वाणी फ़ाउण्डेशन विशिष्ट अनुवादक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।  आज जयपुर बुकमार्क दरबार हॉल, डिग्गी पैलेस में वाणी प्रकाशन और जयपुर बुक मार्क की ओर से तथा टीमवर्क आर्ट्स के सहयोग से यह पुरस्कार प्रदान किया गया,पुरस्कार स्वरूप लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि के साथ वाणी प्रकाशन ग्रुप का सम्मान चिन्ह दिया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथिभारत में नॉर्वे के राजदूत श्री एच.ई हैंस जैकब फ्राइडनलंड, औरअभिनेत्री, राजनीतिज्ञ और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की  सदस्य वाणी त्रिपाठी थी। 


रक्षंदा जलील प्रखर लेखक, आलोचक और साहित्यिक इतिहासकार हैं। इन्होंने तीन लघु कथाओं और आठ अनुवादों का सम्पादन किया है। रक्षंदा जलील ने ‘प्रोग्रेसिव राइटर्स मूवमेंट एज रिफ्लेक्टेड इन उर्दू’ पर पीएच.डी. की। भाषा में नारीवादी स्त्रीवादी लेखिका डॉ. राशिद जहाँ की आत्मकथा और इन्तज़ार हुसैन की लघुकथाओं का एक अनुवाद शामिल हैं। इनका निबन्ध संग्रह ‘इनविज़िबल सिटी’ जोकि दिल्ली के प्रसिद्ध स्मारकों पर आधारित है, पाठकों द्वारा बहुत पसन्द किया गया है।वह‘हिन्दुस्तानी आवाज़’ के नाम से एक संस्था चला रही हैं, जो हिन्दू-उर्दू साहित्य एवं संस्कृति को लोकप्रिय बनाने के लिये समर्पित है।



डॉ. रक्षंदा जलील ने पुरस्कार प्राप्त करने पर कहा, "इस तरह के प्रख्यात जूरी से वाणी फाउंडेशन विशिस्ट  अनुवादक पुरस्कार प्राप्त करना बहुत गर्व और सम्मान की बात है। मेरा पहला अनुवाद, प्रेमचंद की लघु कहानियों का एक संग्रह 1992 में प्रकाशित हुआ था। तब से एक लंबी और  समृद्ध यात्रा रही है। यह एक सुखद अनुभव है कि अनुवाद  देश भर के विभिन्न साहित्यिक मंचों  में सम्मान और प्रशंसा प्राप्त कर रहा  है और इसमें प्रकाशकों का बड़ा योगदान हैं"।
नमिता गोखले ने  कहा, ‘रक्षंदा जलील हमारे सबसे प्रतिभाशाली, प्रतिबद्धलेखकों  और अनुवादकों  में से एक हैं।उर्दू महिला लेखिका से लेकर फणीश्वर नाथ 'रेणु’ तक की उनकी अनुवाद की सीमा बहुत व्यापक है,हिंदी, उर्दू, हिंदुस्तानी और भारतीय मूल के साहित्य पर उनके दृष्टिकोण भारतीय साहित्यिक समझ के बड़े कोष के लिए बहुत मूल्यवान हैं।'


टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजोय रॉय ने कहा, “ प्रत्येक वर्ष वाणी फाउंडेशन और टीमवर्क आर्ट्स वाणी फाउंडेशन विशिस्ट अनुवादक पुरस्कार प्रदान करता है, यह पुरस्कार भारतीय साहित्यिक परिदृश्य में शुरुआत से ही विविधता को संबोधित करता रहा है और इसने कई प्रतिष्ठित लेखकों और कवियों के कामों को चिन्हित किया है।'


इस मौके पर वाणी फ़ाउण्डेशन के अध्यक्ष अरुण माहेश्वरी  ने कहा कि “वाणी फाउंडेशन अपनी साहित्यिक  गतिविधियों के अलावा  अनुवाद को विशेष  महत्त्व  इसलिए  देता  है  क्योंकि दुनिया की सभ्यताओं और  संस्कृतियों  के बीच संवाद का  माध्यम  सिर्फ अनुवाद   ही है। भारतीय सभ्यता ,भारतीय संस्कृति और भारत की  भाषाओं  के बीच संवाद होना और विश्व के  भाषाओं  के साथ भारतीय भाषा का  कदम ताल होना अपने आप  में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे हमारी सभ्यता, संस्कृति और कला का विकास होता है और विकास का माध्यम सिर्फ और सिर्फ  अनुवाद ही  है।”


यह पुरस्कार विशेष रूप से उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरन्तर लेखन व अनुवाद के माध्यम से साहित्यिक समृद्धि के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया है, यह पुरस्कार न केवल अनुवादक व लेखक के लिए एक सार्वजनिक मंच तैयार करता है बल्कि पुरस्कार प्राप्त करने वाले विजेता व उसके योगदान को भाषाओं के माध्यम से वासुदेव बैकुंठम की भावना को पोषित करता है।  
 
इस सम्मान के तहत वर्ष 2016 का प्रथम वाणी फ़ाउण्डेशन ‘डिस्टिंग्विश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड’ मलयालम कवि श्री अत्तूर रवि वर्मा को प्रदान किया गया। वर्ष 2017 में यह पुरस्कार प्रख्यात अनुवादक, कवयित्री, लेखिका और आलोचक डॉ. अनामिका को दिया गया। वर्ष 2018 में सांस्कृतिक इतिहासज्ञ और अनुवादक डॉ. रीता कोठारी को दिया गया और वर्ष 2019 में इस पुरस्कार से प्रख्यात कवि, कथाकार, अनुवादक और चित्रकार तेजी ग्रोवर को सम्मानित किया गया। 
 


Popular posts from this blog

देवदास: लेखक रचित कल्पित पात्र या स्वयं लेखक

नई चुनौतियों के कारण बदल रहा है भारतीय सिनेमा

‘कम्युनिकेशन टुडे’ की स्वर्ण जयंती वेबिनार में इस बार ‘खबर लहरिया’ पर चर्चा