मीडिया और मनोरंजन उद्योग में कौशल विकास को बढ़ावा देने का प्रयास

नई दिल्ली।   केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने आज नई दिल्ली में 'मंथन-त्रुटिरहित शैक्षणिक समुदाय' के तीसरे अध्याय का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम का आयोजन मीडिया एवं मनोरंजन कौशल परिषद (एमईएसईसी) ने मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के सहयोग से किया। इस मौके पर फिल्म निर्माता, शिक्षाविद, एमईएससी के अध्यक्ष सुभाष घई, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार सुब्बा राव और अन्य अधिकारी एवं उद्योग से जुड़ी हस्तियां मौजूद रहीं।



इस मौके पर रमेश पोखरियाल ने कहा कि कौशल विकास शिक्षा किसी भी राष्ट्र के विकास की रीढ़ की हड्डी है, जिससे कुशल युवाओं और कार्यबल को विकसित करने में मदद मिलती है और यह समय की मांग है। उन्होंने कहा कि भारत की युवा आबादी इसकी मूल्यवान संपत्ति है जो कुल जनसंख्या का 54 फीसदी है। शिक्षा के क्षेत्र में भारत के अग्रणी रहने का भी इतिहास है। उन्होंने कहा कि भविष्य के लिए एक बेहतर कुशल आबादी तैयार करने की हमारी दृष्टि और मिशन को बढ़ावा देते हुए एमएचआरडी और एमईएससी सराहनीय कार्य कर रहे हैं। उन्होंने एमईएससी को बधाई दी और कहा कि घई के नेतृत्व में एमईएससी विद्यादान के माध्यम से गुरु-शिष्य परम्परा को बढ़ावा दे रही है।


इस अवसर पर सुभाष घई ने कहा कि फिल्म उद्योग अकेले 72 प्रकार के व्यावसायिक कौशल श्रमिकों को रोजगार देता है। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय और कौशल विकास एवं  उद्यमिता मंत्रालय ने हमें मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए एक मंच प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि एमईएससी युवाओं को पूर्ण रूप से प्रशिक्षित करने के लिए विद्यादान जैसा मंच उपलब्ध कराते हुए भावी नेतृत्व के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। 


मंथन मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग में उपलब्ध अवसरों की अधिकता पर केंद्रित है। यह मीडिया एवं मनोरंजन कौशल परिषद (एमईएससी) और प्रतिष्ठित  शैक्षणिक संस्थानों, कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग की संभावनाओं पर प्रकाश डालता है। एमईएससी के साथ मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बी.एससी. ऐनिमेशन एवं वीएफएक्स, बी.एससी. परफॉर्मिंग आर्ट्स और बी.एससी. फिल्म मेकिंग जैसे रोजगारपरक पाठ्यक्रम विकसित किये हैं।  


संबंधित विश्वविद्यालयों को अपने कॉलेजों एवं स्वायत्त कॉलेजों के माध्यम से इन पाठ्यक्रमों को चलाने के लिए सशक्त किया गया है और अन्य कॉलेज भी अपने विश्वविद्यालय की मंजूरी से इन पाठ्यक्रमों को चला सकते हैं। उत्तराखंड  के उच्च शिक्षा निदेशालय, हंसराज कॉलेज, खालसा कॉलेज, त्रिपुरा विश्वविद्यालय, शारदा विश्वविद्यालय, जीडी गोयनका विश्वविद्यालय, जैन विश्वविद्यालय और कई अन्य शैक्षणिक संस्थानों सहित 50 से अधिक कॉलेज/ विश्वविद्यालयों ने इन पाठ्यक्रमों को चलाने के लिए एमईएससी के साथ समझौते पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं।


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