हैदराबाद में पुलिस एनकाउंटर या पुलिसिया क़त्ल?

हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ बर्बरता करने वाले चारों आरोपी पुलिस एनकाउंटर में मार गिराए गए। पीड़िता के परिवार के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी खुशी मना रहे हैं और हैदराबाद पुलिस को धन्यवाद कह रहे हैं। आरोपियों को मौत के घाट उतारने की खबर से बहुत सारे लोग खुश नज़र आये और उन्होंने एनकाउंटर में शामिल पुलिस वालों को "असली सिंघम" जैसी उपाधि भी दे डाली। इसमें कोई संदेह नहीं कि मारे गए चारों अभियुक्तों ने जो जघन्य कांड किया था, उसे लेकर लोगों के मन में बेहद गुस्सा था और इसी गुस्से की अभिव्यक्ति लोगों ने सोशल मीडिया पर ख़ुशी मानते हुए की। लेकिन इस जज्बाती अभिव्यक्ति के पीछे यह सवाल अनदेखे कर दिए गए कि इन्साफ करने का यह पुलिसिया अंदाज़ कहाँ तक सही है। सोशल मीडिया पर ही लोग पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि इस तरह देश की न्यायिक व्यवस्था से लोगों का भरोसा उठ जाएगा।


बता दें कि शुक्रवार सुबह ही केस के चारों आरोपियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, पुलिस जांच के लिए इन आरोपियों को मौका-ए-वारदात पर लेकर गई थी। चारों ने वहां से भागने की कोशिश की, जिस पर पुलिस ने उन्हें वहीं ढेर कर दिया। 


एक यूजर ने लिखा, 'लोगों की भावनाओं से प्रेरित होकर किसी को मारना बहुत खतरनाक है। उनका दोष कोर्ट में साबित होना जरूरी था। हमारा संविधान इसी सिद्धांत पर कायम है कि चाहे 100 अपराधी बच जाएं लेकिन किसी निर्दोष को सजा न होने पाए। आज का दिन आपराधिक न्यायिक व्यवस्था के लिए काला दिन है।' एक अन्य यूजर ने लिखा, 'यह पूरी तरह गलत और डिस्टर्ब करने वाला है। उन्हें कानून के तहत कड़ी सजा मिलनी चाहिए थी लेकिन यह हैरान करने वाला है। यह संविधान पर भरोसा नहीं है बल्कि असंवैधानिक काम की कुछ लोग सराहना कर रहे हैं।'
एक यूजर ने लिखा, 'कुछ लोग कह रहे हैं कि यह न्याय देने का सही तरीका नहीं था। मुझे नहीं पता और न ही मैं इस पर कुछ जानना चाहती हूं। मुझे सिर्फ इतना पता है कि न्याय मिल गया।'






 


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