आयुर्वेद,यूनानी और सिद्ध चिकित्सा पद्धति में मानक शब्दावली के लिए कार्यकारी दल की बैठक

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आयुष मंत्रालय के सहयोग से जामनगर में आयोजित तीन दिवसीय बैठक में आयुर्वेद,यूनानी और सिद्ध चिकित्सा पद्धति में मानक शब्दावली के लिए मसौदा पत्र की समीक्षा की  और इन तीनों आयुष प्रणालियो के लिए वैश्विक प्रयासों की ठोस नींव रखी गई। बैठक का आयोजन दो दिसंबर से चार दिसंबर तक जामनगर में इंस्टीटयूट आफ पोस्ट ग्रेजुएट टीचिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद में किया गया। यह संस्थान भारत में आयुर्वेद में स्नातकोत्तर अध्ययन करने के लिए स्थापित सबसे पुराना संस्थान है और परंपरागत चिकित्सा पद्धति के लिए डब्ल्यूएचओ का मनोनीत सहयोग केंद्र है।


बैठक के दौरान समीक्षा किए गए मानक अंतरराष्ट्रीय शब्दावली पत्र का विकास डब्ल्यूएचओ ने परंपरागत और पूरक चिकित्सा पद्धति(टीएंडसीएम) की गुणवत्ता,सुरक्षा और प्रभावीकरण को वैश्विक स्तर पर सशक्त करने की रणनीति के एक भाग के रूप में किया है। परंपरागत चिकित्सा पद्धति, वैश्विक स्वास्थ्य पहुंच कार्यक्रम के अंतर्गत विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा दीर्धकालिक विकास लक्ष्य-3(एसडीजी-3) का महत्वपूर्ण अभिन्न क्षेत्र है।  


डब्ल्यूएचओ कार्यकारी समूह बैठक(डब्ल्यूजीएम) में विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए तीन जीरो मसौदा दस्तावेजों की समीक्षा की गई और प्रत्येक दस्तावेज के ढांचे और विषय वस्तु पर अंतरराष्ट्रीय आम सहमति बनाई गई। दस्तावेजों से संबंधित प्रणालियो,परिभाषाओ(आवश्यतानुसार लघु या व्याख्यात्मक),परंपरागत प्रयोग और संदर्भ, सुझाव दिए गए अंग्रेजी शब्दावली से संबधित शब्दावली की सूची मिलेगी। इन दस्तावेज में मूल सिद्धांत,सैद्धांतिक परिकल्पना, मानव ढांचा और कार्यप्रणाली, रोग निदान, निदान,प्रतिरूप और शरीर संघटन आदि संबंधित चिकित्सा प्रणाली सम्मिलित हैं।मानक शब्दावली आधुनिक और परंपरागत चिकित्सा पद्धति उपयोग करने वाले व्यक्तियों के बीच बेहतर संचार सुगम करेगी और परंपरागत चिकित्सा पद्धति के राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली से जुडने में सहयोग करेगी। ये दस्तावेज अन्य स्वास्थ्य कर्मियों,चिकित्सा के छात्रों और संबंधित अनुसंधानर्ताओ के लिए भी बेहद लाभदायक साबित होंगे।


बैठक में डब्ल्यूएचओ के सभी छह क्षेत्रों में शामिल तेरह विभिन्न देशों से जापान,कनाडा,डेनमार्क,आस्ट्रिया,श्रीलंका,न्यूजीलैंड,यूएई,बांग्लादेश,स्विटजरलैंड,मलेशिया,दक्षिण अफ्रीका,नेपाल और ईरान से आयुर्वेद,यूनानी और सिद्ध क्षेत्र में 21 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञो,भारत के 21 विशेषज्ञों और डब्ल्यूएचओ के चार अधिकारियों ने भाग लिया।


 



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