नामुमकिन है कृष्ण कुमार पुरोहित को भुला पाना !

वरिष्‍ठ पत्रकार के. के. पुरोहित का शुक्रवार को असामयिक निधन हो गया। बताया जाता है कि गुरुवार सुबह उन्‍हें पीबीएम अस्‍पताल के 'एच' वार्ड में भर्ती कराया गया था, जहां आज सुबह उपचार के दौरान उनका निधन हो गया। नवभारत टाइम्‍स, राजस्‍थान पत्रिका सहित अनेक पत्र-पत्रिकाओं में काम कर चुके पुरोहित की पत्रकारिता के क्षेत्र में एक अलग ही पहचान थी। उनके निधन की खबर से पत्रकार जगत में शोक छा गया। 


23 सितम्बर, 1985 को हिंदी दैनिक नवभारत टाइम्स के प्रकाशन के प्रथम अंक के प्रकाशन के साथ ही कृष्ण कुमार पुरोहित से मुलाक़ात हुई और फिर नवभारत टाइम्स के बंद होने के बाद भी नियमित तौर पर उनसे बातचीत होती रही.  सर्वश्री श्याम माथुर, स्व. जयंत चटर्जी, प्रकाश भंडारी, विजय त्रिवेदी, गजेन्द्र रिझवानी इत्यादि  के सहकर्मी रहे स्व कृष्ण कुमार पुरोहित अत्यंत ही स्पष्टवादी, हंसमुख, लेखन प्रतिभा के धनी थे। कुछ दिनों पहले ही  पिंक सिटी प्रेस क्लब के एक समारोह में मुलाक़ात होने पर मैंने उन्हें आयु से कम लगने का कॉम्प्लीमेंट दिया था। बहुत खुश होकर उन्होंने  मुझे बाहों में भर लिया था।
उस अद्भुत, दिल से मोहब्बत करने वाले  व्यक्तित्व को भुला पाना मेरे  लिए असंभव है। NBT बंद होने के बाद समाचार जगत, नवाब कल्लन का बाग, जालूपुरा,  में भी उनसे मिलता रहा।  
कार्य के प्रति उनके चेहरे की रंगत और जोश से पता लगता रहा कि समाचार जगत की वर्तमान ऊंचाइयों में उनका बहुत बड़ा हाथ रहा होगा।
हम दोनों का प्यार शायद इसलिए भी अधिक था कि दोनों की जन्मस्थली एक यानि बीकानेर है। उस अद्भुत इंसान, दिल से मोहब्बत करने वाले  व्यक्तित्व को भुला पाना मेरे  लिए असंभव है।


 


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