जयपुर के जवाहर कला केंद्र में ‘नाट्यशास्त्र एवं आधुनिक कलाएं‘ पर होगा संवाद

जयपुर, 15 नवंबर। जयपुर के कला एवं संस्कृति के प्रमुख केंद्र - जवाहर कला केंद्र (जेकेके) द्वारा शनिवार, 16 नवंबर को रंगायन सभागार में 'नाट्यशास्त्र संवाद' का आयोजन किया जा रहा है। इस संवाद की थीम 'नाट्यशास्त्र एवं आधुनिक कलाएं' है। कार्यक्रम में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के निदेशक, डॉ. अर्जुन देव चारण और संस्कृतिकर्मी, कवि, कला आलोचक एवं यात्रावृतान्तकार, डॉ. राजेश कुमार व्यास संबोधित करेंगे। सायं 6 से 8 बजे तक आयोजित इस कार्यक्रम में विजिटर्स का प्रवेश निःशुल्क रहेगा।


उल्लेखनीय है कि नाट्यशास्त्र के तहत नृत्य, संगीत, कविता एवं सौंदर्यशास्त्र सहित नाट्य कला के विभिन्न पहलू शामिल है। इसका बुनियादी महत्व भारतीय नाट्य कला को जीवन के चार लक्ष्यों, धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष के प्रति जागरूक बनाने के माध्यम के रूप में इसका औचित्य सिद्ध करना है।


आधुनिक कलाओं से तात्पर्य अतीत की परम्पराओं को पीछे छोड़ते हुए प्रयोग करने की भावना से है। आधुनिक कलाकारों ने देखने के नए तरीकों और सामग्रियों और कला के कार्यों की प्रवृति पर नए विचारों के साथ प्रयोग किए। कल्पनात्मकता की ओर झुकाव आधुनिक कला की विशेषता है।


नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के अध्यक्ष, डॉ. अर्जुनदेव चारण प्रसिद्ध कवि, आलोचक, नाटककार, थिएटर निर्देशक एवं अनुवादक हैं। डॉ. अर्जुन लोकनाट्यों के साथ भरतमुनि की नाट्यशास्त्र के मर्मज्ञ विद्वान हैं। वे केन्द्रीय साहित्य अकादमी के राजस्थानी परामर्श मंडल के संयोजक, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के उपाध्यक्ष भी रहे है। केन्द्रीय साहित्य अकादमी के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित डॉ चारण को बिडला फाउंडेशन का बिहारी पुरस्कार, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार सहित बहुत से सम्मान निरंतर मिलते रहे हैं।


केन्द्रीय साहित्य अकादमी से सम्मानित, डॉ. राजेश कुमार व्यास संस्कृतिकर्मी, कवि, कला आलोचक एवं यात्रावृतान्तकार हैं। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा प्रकाशित यात्रा वृतान्त 'कश्मीर से कन्याकुमारी' और 'नर्मदे हर' शामिल हैं। उनके द्वारा कला पर लिखी गई रचनाएं 'रंग नाद' और 'भारतीय कला कृतियॉं' अत्यन्त चर्चित रही है। केन्द्रीय ललित कला अकादमी की पत्रिका 'समकालीन कला' के एक अंक के वे अतिथि सम्पादक रहे हैं। दूरदर्शन ने उनके शोध एवं आलेख पर आधारित यात्रा वृतान्त धारावाहिक 'डेजर्ट कॉलिंग' बनाकर डीडी भारती, दूरदर्शन नेशनल चैनल से उसे प्रसारित किया है। भारतीय संस्कृति से संबद्ध कोई एक दर्जन से अधिक वृत्तचित्रों का लेखन भी उन्होंने दूरदर्शन के लिए किया है।


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