जमीं खा गई आसमां कैसे-कैसे!


सुष्मिता सेन, दीया मिर्जा और लारा दत्ता के बाद अमीषा पटेल ने भी अपना प्रोडक्शन हाउस लॉन्च कर दिया है। अमीषा को बॉलीवुड में वन फिल्म वंडर माना जाता है। उनकी पहली फिल्म 'कहो ना....प्यार है' ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ कमाई की थी और अनिल शर्मा की 'गदर-एक प्रेम कथा' में भी उनका अहम रोल था। लेकिन इन दोनों फिल्मों की धुुुुंआधार कामयाबी का फायदा अमीषा को नहीं मिला और मुट्ठी में बंद रेत की तरह यह कामयाबी भी धीरे-धीरे उनके हाथ से फिसलती चली गई। बाद में विक्रम भट्ट के साथ अपने अंतरंग रिश्तों की वजह से अमीषा अक्सर सुर्खियों में रहीं और जब इस रिश्ते का भी अंत हो गया, तो अमीषा तस्वीर से पूरी तरह गायब हो गईं। 


बॉलीवुड में रहते हुए अगर आपके पास करने के लिए अच्छी फिल्में नहीं हैं और आपको शादी करने के लिए अच्छा पार्टनर भी नहीं मिल पा रहा है, तो आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है कि आप प्रोड्यूसर बन जाएं। अमीषा ने भी यही किया है। वैसे इंडस्ट्री में इस ट्रेंड की शुरुआत सुष्मिता सेन ने की थी। 1994 में ऐश्वर्या राय को पछाडक़र मिस इंडिया का खिताब जीतने वाली सुष्मिता आज इंडस्ट्री में ऐश्वर्या से बहुत पीछे हैं। ऐश्वर्या चाहें, तो आज सुष्मिता से यह सवाल कर सकती हैं कि 'मेरे पास आज गाड़ी है, बंगला है, शौहर है, शोहरत है....और तुम्हारे पास क्या है?' जवाब में बेचारी सुष्मिता सिर्फ इतना ही कह सकतीं हैं कि मेरे पास दो बेटियां हैं! बिजनेसमैन संजय नारंग, निर्देशक विक्रम भट्ट और एक्टर रणदीप हुडा उनकी जिंदगी में उसी तरह शामिल रहे, जैसे ऐश्वर्या की जिंदगी में कभी सलमान थे। महेश भट्ट की फिल्म 'दस्तक'  से बॉलीवुड में दस्तक देने वाली सुष्मिता सेन के खाते में नाकामी का आंकड़ा बहुत बड़ा है और लगातार पिटती फिल्मों के बाद उन्होंने प्रोड्यूसर बनने का फैसला किया और रानी लक्ष्मीबाई की जिंदगी पर फिल्म बनाने का एलान किया। लेकिन उनकी यह फिल्म प्लानिंग से आगे नहीं बढ़ पाई है।


दीया मिर्जा ने भी सौंदर्य स्पर्धा के जरिए बॉलीवुड में एंट्री की थी। 2001 में आई फिल्म 'दीवानापन' के साथ उन्होंने अच्छी संभावनाएं जगाई थीं, लेकिन जल्द ही वे भीड़ का हिस्सा बन गईं। 'रहना है तेरे दिल में', 'तुमको ना भूल पांएगे' और 'तहजीब' जैसी फिल्में भी उनके कॅरियर को सहारा नहीं दे सकीं, लेकिन प्रदीप सरकार की फिल्म 'परिणीता' में अपने अभिनय से दीया ने समीक्षकों को चौंकाया। बाद में वे छिटपुट भूमिकाओं तक सिमटकर रह गईं। दीया की पिछली फिल्म 'हम तुम और घोस्ट' थी, जिसमे वे अभिनेता से पहली बार निर्माता बने अरशद वारसी के अपोजिट थीं, पर यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रही थी। इसके बाद दीया ने संजय खान के बेटे जाएद खान के साथ प्रोडक्शन हाउस 'बोर्न फ्री' शुरू करने का एलान किया। जाएद की नैया भी हिचकोले खा रही है, लिहाजा यह देखना  दिलचस्प होगा कि दो नाकाम लोगों की साझा कोशिश के रूप में बनने वाली फिल्म 'लव ब्रेकअप जिंदगी' में जिंदगी की कैसी हकीकतें नजर आती हैं।
एक्टिंग के मैदान में पिछडऩे के बाद अपना प्रोडक्शन हाउस खोलने वालों में अगला नाम प्रीति जिंटा का हो सकता है। 'मैं और मिसेज खन्ना' में आखिरी बार केमियो रोल में दिखने के बाद प्रीति जिंटा फिलहाल बड़े परदे से गायब हैं। अलबत्ता छोटे परदे पर आजकल वे गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड तोडऩे वाले हिंदुस्तानी कलाकारों की हौसला अफजाई कर रही हैं और क्रिकेट के मैदान पर किंग्स इलेवन पंजाब की टीम के साथ उन्हें देखा जा सकता है। लेकिन कोई भी कामयाबी सिनेमाई चमक-दमक और शोहरत का स्थान नहीं ले सकती। सितारों के अवचेतन में भी शायद तालियों की आवाजें गूंजती रहती हैं और उनकी बंद आंखों के भीतर भी शायद कैमरे की फ्लैश लाइटें चमकती रहती हैं। जरा सी बात पे आंखें बरसने लगती थीं/ कहां चले गए मौसम वो चाहतों वाले....शायर मुनव्वर राना का यह शेर नाकाम सितारों के जज्बात को ही बयान करता है। गमों के लिबास में लिपटे सितारे कुछ इसी तर्ज पर अपने शिखर दिनों की यादों के साथ बीते हुए कल के गलियारों में चहलकदमी करते रहते हैं।


 


Popular posts from this blog

देवदास: लेखक रचित कल्पित पात्र या स्वयं लेखक

नई चुनौतियों के कारण बदल रहा है भारतीय सिनेमा

‘कम्युनिकेशन टुडे’ की स्वर्ण जयंती वेबिनार में इस बार ‘खबर लहरिया’ पर चर्चा