बायोपिक सिनेमा की नई लहर



कहते हैं कि कुछ इतिहास बनते नहीं हैं, बल्कि बन जाते हैं और बन जाने वाले इतिहास को दोहराया नहीं जा सकता। इसी तर्ज पर बॉलीवुड के फिल्मकारों का मानना है कि इतिहास को दोहराना भले ही मुश्किल हो, पर उसे सिनेमाई परदे पर उतारना जरूर आसान है। यही कारण है कि हाल के दौर में 'अजहर' और 'मैं और चाल्र्स' जैसी फिल्मों की नाकामी के बावजूद फिल्मकारों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है और वे भरपूर जोश और उम्मीदों के साथ जीवनीपरक फिल्में बनाने में जुटे हैं।
दरअसल बॉलीवुड में इधर जीवनी परक फिल्मों का एक ऐसा सिलसिला शुरू हुआ है, जिसके साथ कामयाबी की गारंटी जुड़ी है। यही कारण है कि आज अनेक फिल्मकार ऐसी फिल्मों पर काम कर रहे हैं जिनका संबंध किसी मशहूर हस्ती से है। उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि अपने दौर की किसी मशहूर हस्ती के साथ दर्शक यादों के गलियारे में जरूर चहलकदमी करना चाहेंगे और साथ ही उन घटनाओं को भी फिर से जीवंत होते देखना चाहेंगे, जिन्होंने देश और दुनिया के इतिहास पर अपनी छाप छोड़ी है।
कुछ अर्सा पहले जब निर्माता एकता कपूर ने मिलन लूथरिया के निर्देशन में साउथ की फिल्मों की चर्चित स्टार स्लिक स्मिता की जिंदगी पर 'द डर्टी पिक्चर' बनाने का एलान किया था, तब ज्यादातर ट्रेड पंडितों को उनके इस फैसले पर हैरानी हुई थी। इससे भी ज्यादा हैरानी तब हुई, जब मिलन ने इस फिल्म में टाइटल रोल के लिए विद्या बालन को साइन किया, जो उन दिनों 'परिणीता' जैसी फिल्म के सहारे एक संजीदा अभिनेत्री के तौर पर अपनी पहचान बनाने की शुरुआत कर चुकी थीं। सिल्क स्मिता की छवि एक बिंदास और बोल्ड अभिनेत्री की थी, जबकि विद्या ने एक साफ-सुथरी छवि के साथ अपने कॅरियर की शुरुआत की थी। ऊपर से ट्रेड विश्लेषकों का मानना था कि सिल्क स्मिता की जिंदगी को फिल्मी परदे पर देखने में दर्शकों की कतई दिलचस्पी नहीं होगी। लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई, तो सारे अनुमान धरे रह गए और फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर जोरदार बिजनैस किया। ज्यादातर क्रिटिक्स का मानना है कि 'द डर्टी पिक्चर' की जबरदस्त कामयाबी ने बॉलीवुड के फिल्मकारों को बायोपिक सिनेमा बनाने की तरफ प्रेरित किया और इसके बाद ऐसी कई फिल्मों की घोषणा हुई। 
इसी दौर में धावक मिल्खा सिंह की जिंदगी पर आधारित फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' बनाकर निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने जीवनीपरक फिल्मों के इस सिलसिले को और धार तथा मजबूती प्रदान की। 'भाग मिल्खा भाग' में कहानी कहने का निर्देशक का अंदाज दर्शकों को बहुत भाया और फिल्म ने टिकट खिडक़ी पर धुंआधार कमाई भी की। खास तौर पर युवा पीढ़ी के दर्शकों को यह फिल्म विशेष पसंद आई, क्योंकि उन्होंने मिल्खा के बारे में बहुत कुछ सुन तो रखा था, पर उनकी जिंदगी में इतने रंग और इतने उतार-चढ़ाव होंगे, इस बारे में उन्हें भी अंदाजा नहीं था। परदे पर मिल्खा सिंह की भूमिका को जीवंत करने के लिए फरहान अख्तर ने जी-जान लड़ा दी और आज निसंकोच रूप से यह कहा जा सकता है कि 'भाग मिल्खा भाग' फरहान के अभिनय कॅरियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म है।
'भाग मिल्खा भाग' की कामयाबी ने दूसरे फिल्मकारों को भी एक नई राह दिखाई और इस तरह खिलाडिय़ों के जीवन पर फिल्में बनाने का सिलसिला और तेज हुआ। निर्देशक तिग्मांशु धुलिया ने इसी दौर में एथलीट पान सिंह की जिंदगी पर 'पान सिंह तोमर' बनाई और खूब सुर्खियां बटोरीं। इस फिल्म में पान सिंह के रोल में इरफान ने इतना बेहतरीन अभिनय किया कि चारों ओर उनके नाम के चर्चे होने लगे और जब साठवें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का एलान हुआ, तो सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी के आगे इरफान का नाम लिखा था।
खिलाडिय़ों की जिंदगी पर बनी 'भाग मिल्खा भाग' और 'पान सिंह तोमर' जैसी फिल्मों की कामयाबी के बाद निर्देशक ओमंग कुमार ने मणिपुर की बॉक्सर एम. सी. मैरीकॉम के जीवन पर 'मैरीकॉम' बनाकर सफलता की हैट्रिक को पूरा किया। खास बात यह भी थी कि यह एक ऐसी खेल हस्ती के जीवन पर आधारित फिल्म है, जो आज भी खेल के मैदान में सक्रिय है। मणिपुर के एक अनजान से गांव के किसान की बेटी मैरीकॉम के जीवन संघर्ष ने निर्देशक ओमंग कुमार को इतना प्रभावित किया कि अपनी पहली फिल्म के तौर पर उन्होंने यही विषय चुना और प्रियंका चोपड़ा को मुख्य भूमिका में लेकर यह फिल्म बना डाली। प्रियंका ने भी अपने किरदार के साथ पूरा इंसाफ किया और उन्होंने मैरीकॉम की मुश्किल जिंदगी और उनके संघर्ष को बखूबी परदे पर उतारा। 'बरफी' के बाद 'मैरीकॉम' जैसी फिल्म के जरिए प्रियंका ने जता दिया कि वे सिर्फ ग्लैमरस रोल के लिए ही नहीं बनी हैं। उम्दा कहानी और अच्छे निर्देशक का साथ मिले, तो वे भी कमाल दिखा सकती हैं। यहां यह भी बता दे कि फिल्म 'मैरीकॉम' ने डायरेक्टर ओमंग कुमार को पहला नेशनल अवार्ड भी दिलाया और वे उन गिने-चुने फिल्मकारों में शामिल हो गए, जिन्हें अपने कॅरियर की पहली ही फिल्म ने यह सम्मान दिलाया। जाहिर है कि इस कामयाबी और सम्मान ने ओमंग कुमार का हौसला सातवें आसमान पर पहुंचा दिया और शायद इसीलिए उन्होंने अपनी दूसरी फिल्म के तौर पर भी एक जीवनीपरक विषय को ही चुना। यह फिल्म थी 'सरबजीत' जो पंजाब के उसी सरबजीत की कहानी है, जिसे पाकिस्तान ने आतंकवादी और भारतीय जासूस मानते हुए गिरफ्तार कर लिया था और आखिरकार जिसकी पाकिस्तान में ही मौत हो गई थी। सरबजीत को पाकिस्तान की यातनाओं से मुक्त कराने के लिए उसकी बहन दलबीर ने जो लंबी लड़ाई लड़ी, उसे इस फिल्म में पूरी ईमानदारी के साथ दर्शाया गया। फिल्म में सरबजीत के किरदार में रणदीप हुडा और उनकी बहन दलबीर कौर की भूमिका में ऐश्वर्या राय ने अपने शानदार अभिनय से लोगों को चौंकाया। 
रणदीप हुडा ने कुछ ऐसा ही काम केतन मेहता की 'रंग रसिया' में किया था। 'होली', 'भवनी भवाई', 'सरदार' और 'मिर्च मसाला' जैसी यादगार फिल्में बनाने वाले केतन मेहता ने 'रंग रसिया' के बहाने मशहूर चित्रकार राजा रवि वर्मा की जिंदगी को सिनेमाई परदे पर पेश किया था। इसके बाद केतन मेहता ने बिहार के पर्वत पुरुष दशरथ मांझी की जिंदगी पर 'मांझी- द माउंटेन मैन' का निर्माण किया, जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने टाइटल रोल निभाया। इस फिल्म को समालोचकों के साथ आम दर्शकों ने भी बहुत पसंद किया। 
स्वाभाविक है कि जीवनीपरक फिल्मों को लगातार मिलने वाली सफलता के बाद अब ऐसी फिल्मों के लिए अतिरिक्त उत्साह दिखने लगा है। निर्माताओं को अब यह भरोसा हो गया है कि विख्यात लोगों की जीवनी पर फिल्म बनाना अब घाटे का सौदा नहीं रह गया है। आज जीवनीपरक फिल्में यानी बायोपिक बनाना कामयाबी का हिट नुस्खा मान लिया गया है और अब ऐसी फिल्मों के लिए पर्याप्त दर्शक न जुट पाने की आशंका भी खत्म हो गई है। यही कारण है कि आज न सिर्फ खेल जगत की हस्तियों पर, बल्कि दूसरे क्षेत्र के कामयाब और चर्चित लोगों पर भी बायोपिक बनाने का सिलसिला तेज हो गया है। इसी क्रम में जल्द रिलीज होने वाली फिल्म है 'एमएस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी', जिसे मशहूर निर्देशक नीरज पांडे ने बनाया है। इस फिल्म में क्रिकेटर महेंद्रसिंह धोनी के एक टिकट कलेक्टर से टीम इंडिया के कप्तान बनने और क्रिकेट में कई रिकॉर्ड बनाने से वल्र्ड कप जीतने तक का सफर दिखाया जाएगा। उधर, निर्देशक शशांक उदापुरकर भी अपनी फिल्म 'अन्ना' को लेकर बहुत उत्साहित हैं। यह फिल्म सामाजिक कार्यकर्ता किशन बाबूराव अन्ना हजारे के जीवन पर आधारित है। फिल्म में अन्ना हजारे की भूमिका शशांक ही निभा रहे हैं। फिल्म में अन्ना हजारे की जिंदगी से जुड़ी सच्ची घटनाओं को दिखाया जाएगा। 
इसी क्रम में अब फिल्म जगत के चर्चित सितारों पर फिल्में बनाने की कोशिशें भी तेज हो गई हैं। राजकुमार हिरानी संजय दत्त की जीवनी पर फिल्म बनाने की तैयारी कर रहे हैं। फिलहाल संजय दत्त की भूमिका को निभाने के लिए रणबीर कपूर का नाम तय किया गया है। इधर अनुराग बसु ने किशोर कुमार पर फिल्म बनाने की तैयारी कर ली है और वे भी किशोर कुमार की भूमिका में रणबीर कपूर को लेना चाहते हैं। अनुराग बसु मशहूर फिल्मकार गुरुदत्त पर भी फिल्म बनाने का प्रयास कर रहे हैं। मधुबाला और सुचित्रा सेन की जिंदगी पर भी बायोपिक बनाने की तैयारी बॉलीवुड में चल रही है।


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